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________________ प्रास्ताविक जैन धर्म में २४ तीर्थंकर माने गये है। तीर्थ का प्रवर्तन करने वाले तीर्थंकर कहलाते है। हम सभी पर तीर्थंकर भगवंतो के अनन्य उपकार है। बीसवें तीर्थंकर श्री मुनिसुव्रत स्वामी थाना तीर्थ के मूलनायक है। जैनों में वर्ष में दो बार नवपदजी की ओली के समय श्रीपाल रास पढ़ा व सुना जाता है। महाराजा श्रीपाल कथानक में थाना का उल्लेख होने से उसका र ऐतिहासिक महत्व और भी बढ़ जाता है। संवत २०४३ का मेरा चातुर्मास थाना तीर्थ की पावन धरा पर था। विविध धार्मिक प्रवृत्तियों के साथ ही श्री संघ की भावना 'श्री मुनिसुव्रत स्वामी चरित एवं थाना का के इतिहास' प्रकाशित करने की हुई। भावना के अनुरुप मैने चरित एवं इतिहास के साथ मंत्र विभाग का संकलन भी जोड दिया। सम्पादन में श्री बसंतीलाल जैन का सहयोग - अभिनन्दनीय है। पुस्तक द्वारा श्री मुनिसुव्रतस्वामी भगवंत का जीवन विवरण एवं थाना तीर्थ की महिमा जानकर दर्शन-पूजन एवं स्तवना भाव की वृद्धि होते हुए आप सभी पुण्यानुबंधि पुण्य का उपार्जन करें, यही मंगल कामना। - पं. पूर्णानंदविजय (कुमार श्रमण) : Shrée-suậhalmashami Svanbhandarllmara Surat wwwumaragvanbhandar.com
SR No.034967
Book TitleMunisuvrat Swami Charit evam Thana Tirth Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnanandvijay
PublisherRushabhdevji Maharaj Jain Dharm Temple and Gnati Trust
Publication Year1989
Total Pages104
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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