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संघ का भारी स्वागत किया। दोनों पक्षों की ओर से स्वामिवात्सल्य हुए। संघपति की ओर से यहाँ के जिनालय में उचित द्रव्य भेट किया गया ।
रानी बी. बी. एण्ड सी. आई. रेल्वे का स्टेशन है। इसकी रोनक दिन दिन बढ़ती जा रही है । यहाँ शाहूकारों की ६० दुकानें हैं। नई आबादी ठीक स्टेशन के पास आ जाने से विशेष सुन्दर प्रतीत होती है। आबादी के मध्य में भगवान् शान्तिनाथ स्वामी का आया हुआ भव्य एवं सौधशिखरी मन्दिर संरक्षक के समान खड़ा हुआ प्रतीत होता है। १ श्रीवरकाणा-तीर्थ
चतुर्दशी को संघ वरकाणातीर्थ पहुँचा । वरकाणा का प्राचीन एवं आदि नाम 'वरकनकपुर' या 'वरकनकनगर' बताया जाता है। यहाँ का जिनालय घावन देवकुलिकाओं से युक्त तथा भगवान् पार्श्वनाथ-चैत्यालय के नाम से विख्यात है। श्रीपार्श्वनाथ प्रभुकी प्रतिमा बड़ी ही आनन्दप्रदा है। सपरिकर होने से यह अधिक भव्य प्रतीत होती है। प्रत्येक कुलिका में भी तीन तीन प्रतिमायें प्रतिष्ठित हैं। सिंह-द्वार के दोनों ओर सुमेरु-शिखर के दो जिनालय हैं, जिनमें चतुर्मुखी मूर्तियाँ विराजमान हैं । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com