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________________ करुणाजनक सच्ची घटनायें । [ ५७ नगर में जैन युवक २५) की नौकरी करता था । उसके घर में माता, पत्नी, पुत्र और स्वयं, इस प्रकार चार व्यक्ति थे । वह जैसे तैसे अपनी गुजर चलाता था । दैवयोग से उसकी नौकरी छूट गईं । उसे चिन्ताने आघेरा, किसीने कोई सहायता न की । आखिर वह चिन्ताकी चिन्तामें जल मरा। पंचोंने उसकी पत्नी और माता से मरणभोज करनेके लिये आग्रह किया। उनने अपनी अशक्ति बताई । तत्र लोगों ने उन्हें बिरादरीसे अलग कर देनेकी धमकी दी। इस भयंकर शस्त्रसे डरकर उनने अपने हाथ पैर के जेवर बेचकर पंचोंको लड्डू खिला दिये । और अब वे दूसरोंकी रोटी करके तथा पीस कूटकर अपनी गुजर चलाती हैं । ३ - कन्याको वेचकर मरणभोज किया-मुंगावली से १० मीलकी दूरीपर एक ग्राम है। वहांकी यह सन् १९३३ की रोमांचकारी घटना है। वहां एक जैन हलवाईंको मृत्यु हुई । पंचोंने उसकी स्त्री और लड़के से तेरई करने के लिये आग्रह किया । किंतु उनने अपनी साफ अशक्ति प्रगट की । और कहा कि हमारे पास कलके खाने को भी नहीं है। पंचोंने अपनी बहिष्कारकी तोप उठाई और हलवाई जी के लड़के को पंचायत में बुलाकर उसके सामने रखकर कहा कि या तो अपने बापकी तेरई करो या फिर कलसे तुम लोगों का मंदिर बन्द है ! इस अत्याचारको देखकर वहांकी पाठशाला के पण्डितजीने विरोध किया, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें नौकरीसे हाथ धोना पड़े । उधर पंचोंमेंसे एक सज्जन (?) ने लड़केको एकांत में बुलाकर कहा कि तुम्हारी बहिन विवाहयोग्य है, उसकी सगाईं कुछ ले देकर Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034960
Book TitleMaran Bhoj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshthidas Jain
PublisherSinghai Moolchand Jain Munim
Publication Year1938
Total Pages122
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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