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मरणभोज।
करुणाजनक सच्ची घटनायें । मरणभोजकी प्रथा कितनी भयंकर है, कितनी पैशाचिक है और कितनी समाजघातिनी है यह बात आगे दी जानेवाली सच्ची घटनाओंसे स्वयं ज्ञात होजायगी। यहां जो घटनायें लिखी जारही हैं उनमें एक भी कलिगत या अतिशयोक्तिपूर्ण नहीं है, फिर भी उनमें किसीका नाम आदि न देने का कारण इतना ही है कि इन घटनाओंसे संबंधित व्यक्ति ऐसे पापकृत्य करके भी अपनेको अपमानित हुआ नहीं देखना चाहते ।
मैं समझता हूँ कि किसीका नाम भादि न देनेसे घटनाओंकी वास्तविकता नष्ट नहीं हो सकती, और जिन्हें विश्वास न हो उन्हें कमसे कम इतना तो स्वीकार करना ही होगा कि मरणभोजके परि. णाम स्वरूप ऐसी घटनायें होना असंभव नहीं हैं। इन घटनाओंके प्रेषक जैन तमाजके सुप्रसिद्ध विद्वान और श्रीमान हैं। मैं उन -सबका आभारी हूँ। अब तनिक उन 'करुणाजनक सच्ची घटनाओं को हृदय थाम कर पढ़िये ।
१-अफीम खाकर मर जाना पड़ा-पन्ना स्टेटके एक ग्राममें एक परवार जैन सिंघई थे। उनकी समाजमें अच्छी प्रतिष्ठा थी। उनने कई बड़े२ कार्य किये थे। किन्तु दैवयोगसे गरीबी भागई। उधर उनकी पत्नी मर गई। मरणभोज करनेकी सिंघईजीके पास सुविधा नहीं थी। इसलिये इज्जत बचाने के लिये उनने अफीम खाली और उन्हें मृत्युभोजकी वेदीपर स्वयं मृत्युका भोज बनना पड़ा।
२-पीस कूटकर गुजर करती हैं-उज्जैनके पास एक
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