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१४-हेज़ (मासिक धर्म) के दिनों में औरतों से अलंग रहो । जब तक पाक न होलें उनके पास मत जाओ।
१५--जो लोग अपनी बीवियों के पास जाने की कसम खा बैठे उनको चार महीने की मोहलत है। फिर ( इस मुद्दत में )
अगर रुजू करलें तो अल्लाह बख्शनेवाला , महान है और अगर तलाक की ठान लें तो अल्लाह सुनता जानता है। और जिन औरतों को तलाक दी गई है वे अपने आपको तीन दफ़े कपड़ों के आने तक रोके रक्खें ।
जो कुछ भी खुदा ने उनके पेट में छिपा रक्खा है (गर्भ) उसका छिपाना उनको जायज़ नहीं। ........जैसा ( मदों का हक़) औरतों पर वैसे ही दस्तूर के मुताबिक औरतों का हक मर्दो पर)। ........जो कुछ तुम औरतों को दे चुके हो (स्त्री-धन, महर) उसमें से कुछ भी वापिस लेना जायज़ नहीं ।
१६-औरत को अगर तीसरी बार तलाक दे दो तो इसके बाद जब तक औरत दूसरे शौहर से निकाह न करे उसके लिये जायज़ नहीं ।
(इसलाम के पहिले लोग दस दस बार तलाक दिया करते थे। तलाक़ की मुद्दत ख़त्म होने को आई और बुला लिया, दो चार दिन रक्खा और फिर तलाक दे दिया। इस तरह सालों तक उन औरतों को बन्दिश में रख कर तड़पाया करते थे इसलिये इसलाम ने तीसरे तलाक को आखरी तलाक ठहरा दिया )
१७--जब तुम औरतों को तलाक दे दो और वे अपनी मुद्दत पूरी क.लें और जायज तौर पर आपस में उनकी मर्जी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com