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मिल जाय तो उनको दूसरे शौहरों के साथ निकाह कर लेने से न रोको ।
१८ - तुम में जा लोग बीवियाँ छोड़ मों तो वे बीवियाँ चार माह दस दिन तक अपने को रोक रक्खें । [ मुद्दत पूरी होने पर निकाह करें।
१९- अपने हक़ को छोड़ देना ज्यादह परहेज़गारी की बात है, इस बड़प्पन को मत भुलाओ जो तुम्हारे बीच है ।
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२० - जो लोग अल्लाह की राह में अपना माल ख़र्च करते हैं उनकी मिसाल उस दाने की सी है जिससे सात बालें पैदा हुई और हर बाल में सौ दांन • अल्लाह की राह में खर्च करते हैं और एहसान नहीं जताते और न लेनेवाले को किसी तरह की तकलीफ देते हैं उनका सवाब उनके पर्वदिगार के यहां मिलेगा ।
२१ - नर्मी से जवाब दे देना और दरगुज़र करना उस खैरात से बेहतर है जिसके पीछे तकलीफ़ लगी हो ।... अपनी खरात को एहसान जताने और ईज़ा देने से उस शख्श की तरह अकारथ न करो जो अपना माल लोगों को दिखाने के लिये खर्च करता है ।
२२ - अगर खैरात जाहिर में दो तो वह भी अच्छा और अगर उसको छुपाओ [गुप्तदान ] और हाजतमन्दों को दो तो यह तुम्हारे हक में ज्यादा बेहतर है ।
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२३ - जो लोग सूद ( ब्याज ) खाते हैं वे खड़े न है | सकेंगे । तिजारत को अल्लाह ने हलाल किया है और सूद को हराम । अगर तुम ईमान रखते हो तो जो सूद बाकी है उसे छोड़ दो ।
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