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कुरान की झाँकी
...का . १०
१ मूरे फातिहा . १-हर तरह की तारीफ़ खुदा हो, को है।
२ मूरे वकर.. .......... १-बेशक मुसलमान और यहूदी और ईसाई और साइबी इनमें से जो लोग अल्लाह पर और रोजे आखिरत पर ईमान लायें और अच्छे काम करते रहें तो उनको उनका अज्र उनके पर्वदिगार के यहां मिलेगा।
[१-उस समय हर एक महज़ब में से अच्छी अच्छी बातें चुनलनेवाला एक गिरोह था जिसे साइबी या साबी कहते थे। २-रोजेआखिरत अर्थात क़यामत पर यकीन रखने का मतलब है अच्छे बुरे कामों के नतीजे पर यकीन रखना, जिससे आदमी बुराई से बचे और भलाई करता रहे । ३-इस आयत से मालूम होता है कि कुरान मुसलमान होने पर जोर नहीं देता, मलाई बुराई के खयाल पर जोर देता है । मजहब तुम कोई भी रक्खो पर नेकी बदी के फल पर यकीन रक्खो जिससे नेकी की तरफ़ तुम्हारा दिल जाये और बदी से बचता रहे ]
२-माँ बाप के साथ सलूक करते रहना और रिश्तेदारों और यतीमों और मोहताजों के साथ भी । और लोगों से अच्छी तरह बात करना। और नमाज पढ़ते और जकात देते रहना । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com