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________________ सवाने - उमरी, ( ७३ ) और फिर आरोsसे रैलमें सवार होकर रोहिडा टेशनपर उतरे, वहांसे खुश्की रास्ते तीर्थ वंभणवाड जाकर जियारत कि, और वापिस रोहिडाटेशन आकर नाणा टेशन उतरे, वहांकी जियारत fer, नाणाटेशनसे सवार होकर रानीटेशन गये, और रानकपुर बगेरा पंचतीर्थी की जियारत कि, और वहांकी तवारिख अपनी नोटबुक में दर्जक, फिर रानीटेशन वापिस आये और रैलमें सवार होकर - अजमेर - लाइनसे चितोडगढ टेशन होते उदयपुर गये, और तीर्थकेशरीयाजीकी जियारतके लिये रवाना हुवे, जो (१८) कोसके फासलेपर वाकेहै, वहांकी जियारत कि, और शिलालेखों की नकल अपनी नोटबुकमें दर्जकिर, तीर्थ केशरीयाजी से रवाना होकर चेतमुदी उठके रोज वापिस उदयपुर आये और बहार बगीचे में कयाम किया, उदयपुरके श्रावकों कों मालूमहुवाकिमहाराज यहां तशरीफ लायेंह, सबलोग वहां आये. मूर्त्ति पूजापर व्याखान दिया, और करीब आठरौज बगीचेंमें ठेहरे, खाना होतेवख्त कवि सूरजमलजीने - गुरुभक्तिपर कइदोहे-और-शेयर बनाकर सुनाये, - ( दोहा . ) चैतसुदी छके दिवस - आये मुनिवर आप, दर्शन दे कृतार्थ किये गये जन्म के पाप, वैशाखबद एकम सुदिन - करके आप विचार, विहार करनेकी मुनिजी-लिनी चितमे धार, श्रावकों की विनती करजो आप कुबुल, हिरदेमेसे आप मुनिवर-जाजो मत अबभुल, मुनिमहाराज शांतिविजयजी - आपगुनोंकी खान, चोमासो किजो अठे-दर्शन दिजो आन. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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