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________________ सवाने-उमरी. (६३) लेखोंकी नकल अपनी नोटबुकमें दर्जकिइ. पावापुरीकी जियारत करके गुणशिलवनउद्यान गये, और वहांसें-वापिसनवादाटेशनकों आये, और नवादेसे रैलमे सवारहोकर लखीसराय-मधुपुर होते हुवे गिरिडीटेशनको गये, और गिरिडी टेशनसे खुश्कीरास्ते तीर्यसमेतशिखरजानेकेलिये रवानाहुवे, जोकरीब नवकोशके फासलेपरवाके है. चारकोशजानेपर वराकडगांव-जहांपर-रिजुवालुका नदीकेकनारे शाल-नामके दरुतकेनीचे-तीर्थंकर महावीरस्वामीकों केवलज्ञान पैदा हुवाथा जियारत किइ, और वहांसे रवानाहोकर रिजुवालुका नदीको पारकरतेहुवे समेतशिखर पहाडकीतराहमें मधुन्गये, जैनश्वेतांबर धर्मशालामें कयामकिया, वहांपर (१०) मंदिर बडेबडे आलिशान बनेहुवे है जियारतकिइ और तमाम शिलालेखोकी नकल अपनी नोटबुकमें दर्जकिइ. दुसररोज समेतशिखर पहाडपर गये, तमाम टॉकोंकी और मंदिकी जियारतकिइ, और वहांकेशिलालेखोकी नकल अपनी नोटबुकमें दकिइ, शामको पहाड समेतशिखरसे वापिस आये. चंदरौज मधुबनमें ठहरे और वापिस उसीरास्ते गिरिडी टेशनको आये और रैलमें सवारहोकर मधुपुर-लखीसराय-होतेहुवे शहर भागलपुर गये, दुसरेरौन खुश्कीरास्ते चंपापुरीकों रवानाहुवे जो दोकोशके फासलेपरवाके है, तीर्थकर वासुपूज्यस्वामीके--पांधकल्याणिक यहांहुवे, उसकी जियारत किड, वहांके शिलालेखोकी नकल अपनी नोटबुकमें दर्जकिइ, चंपापुरीसे वापिस भागलपुरकों आये, भागलपुरसें रैलमें सवारहोकर नलहटी जंकशनहोते शहर मुर्शिदाबादगये, और संवत् ( १९५७ ) की वारीश वहाँपर गुजारी, व्याख्यानमें मूत्रआवश्यकत्ति-और--नेमिनाथचरितबाचा एकरौन विधिवाद-चरितानुवाद-और-यथास्थितवादपर व्या Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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