________________
( ३६ )
सवाने - उमरी.
हजारवर्ष बतीतहोनेके बाद आयगा, दीपमालाकल्प - और पांचमेआरेकी - सझाय-महानिशीथसूत्रसे वडीनही, इनवातोंसें सबुतहुवाकि - कलंकीराजा - अबतक नही हुवा है, उसरौज और भी बहुतकुछबहेस हुथी, मगर यहां उसबातकों थोडेमें लिखदिइदैकि- लिखाण ज्यादा बढेनही और लोगोकों फायदा पहुचे,
( संवत् १९४६ का - चौमासा - शहर जयपुर, )
-
बादवारीशके शहर अहमदाबादसँ रवानाहोकर पेथापुर -माणसा - विजापुर- वडनगर - विशनगर - और - मौजे खेरालु होते हुवे तीर्थ तारंगाकी जियारत कोंगये, उसकी जियारत कर, और -अपनी नोटबुक में तमाम वजुहात उसतीर्थकी दर्जकिर तीर्थ तारंगासे रवाना होकर पालनपुर होते तीर्थआबुक गये. वहांकी जियारत कि, और पुराने शिलालेखों की नकल अपनी नोटबुकमें दर्ज किड़, आबुसे रवाना होकर - पाली - नयाशहर - अजमेर - किसनगढकी सफर करते जयपुर गये, और संवत् (१९४६) की - वारीश - वहां पर गुजारी, व्याख्यान धर्मशास्त्रका हमेशां करतेथे इनदिनोंमें वाग्भट्टालंकार और - अलंकारचूडामणि हिब्ज याद किये, ये दोंनो अलंकारग्रंथ है, अनीतिग्रंथ इसचौमासेमें पढा. पिछले दिनोंमें त्रैलोक्यप्रकाश ग्रंथ - जिसमें - नजुमका क्यानदर्ज है- हिब्ज याद किया. चंद्रप्रज्ञप्तिसूर्यप्रज्ञप्ति - ज्योतिषकरंडक - आरंभसिद्धि-जन्मांभोधि-और-नारचंद्र वगेरा जैननजुमग्रंथ वाचे, - समरसार- और - नरपतिजयचर्या - अन्य मतके नजुमग्रंथ - इसलिये - मुलाहजा किये कि इनमें नजुम किसतरह बयान किया है,
रिग्वेद - यजुर्वेद - सामवेद - अथर्ववेद - मनुस्मृति - याज्ञवल्कस्मृति भारत - भागवत - और - गीता - वगेरा वैदिकमजहबके शाख-गुरुसे
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com