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________________ गुलदस्ते-जराफत. ( ३९५.) कर बापने कहा मेरा बेठना दुनियाको नागवार गुजरताहै, ले ! तुं ! घोडेपर बेठजा, में-पैदल-चलताहुं, इसतरह चलतेहुवे जब दुसरे गांवतक पहुचे वहांकेलोगोने इसको देखकर कहा, देखो ! कैसा नादान लडकाहै-जो-आप घोडेपर वेठाहै, और बुढेको चलाताहै, इसवातको सुनकर दोनों ने खयालकिया, अब घोडेको खाली चलाना ठीकहै, इसतरह चलते जब तीसरे गांवके करीब पहुचे वहांकेलोगोने कहा, देखो ! ये-कैसे-कमअकलहै-जो-घोडा होतेहुवेभी पैदल चलतेहै, इसबातकों सुनकर दोनोने सोचाकि-अब-क्या ! करना चाहिये, कुछ देरकेबाद सलाह हुइकि-हम-दोनों मीलकर घोडेपर बेठजाय, इसतरह कहकर दोनों घोडेपर सवार होगये, और आगेकों चले, जब चोथे गांवकरीब पहुचे, वहांके लोगोने देखा, और कहा, क्याखुब आदमी है, जो घोडेको जान माररहेहै, घोडेको मारनाहै-तो-यूही मारदो, नाहक ! क्यौतकलीफ देतेहो, ? मतलबकि इससुरतमेंभी-लोगोने इनको बुरेकहे, आगेजाकर बाप बेटोने सलाह किइ दुनियां दुरंगी है, इसके कहनेपर कहांतक खयाल कियाजाय, यह-तो-यूही कहती रहेगी, आपन अपना फायदा देखलो. और जैसा मुनासिब समझो वैसा करो, इस मिशालका मतलब यहहैकिदुनिया-ख्वाह ! भलाकामहो-या-बुरा, जो चाहे-सो-कहे, अकलमंदोकों चाहिये जो अछाकामहो कियेजाय, दुनियाके कहनेपर खयाल-न-करे, [एक मालिक-और-नौकरका किस्सा ] - ३५-किसीगांवमें एक किसान रहताथा, और वह गांवके बहार रोजमररा अपने खेतको जाया करताथा, एकरोज उसकों एक नौकरकी जरुरतपडी, और तलाश करनेसे एक आदमी मिला, किसानने पूछा क्यो : तुं ! ! मेरेपास नौकर रहेगा, ? उसने कहा, Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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