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________________ ( ( ३९४ ) गुलदस्ते - जराफत. होजाय, चेला, निहायत शुस्तथा, पात्रे देखता नहीथा, मुहसे जवाब दे दियाकरताथा, देख लिया सबठीक है, गुरुजीने दुसरेरोज फिरकहा पात्रे जरुरदेख लियाकर ताकि आइंदा तकलीफ न उठानापडे, चेलेने - कहा आप बहेमी मालुम देते है. क्या ! कही !! पात्रेमें सांप आवेटते है. ? गुरुजी कहने लगे तुं ! कभी पस्तायगा, चुनाचे ! एकरौज एसाही हुवा कि कहींसें सांप आनकर पात्रमें बैठगया, इधर जब चेला पात्रों लेने गया तो उसमें सांप वेठादेखा, जो फुंकार माररहाथा, चेला गुरुजीकेपास भागआया, और कहने लगा, सचमुच आजतो पात्रे सांप आनकर बैठा है, जो मुजे काटनेपरभी आमादा था, गुरुजीने कहा मेने पेस्तर नही बोलाथाकि कभी - पस्तायगा, तुं ! पात्रे देखता नही, उसीका यह नतीजा है, अछा ! चल ! ! अब में तेरी हमराह चलताहुं और उसको हठाताहुं मतलब इसका यह है कि - eta roast चाहिये गुरुजीके फरमाने पर कामील एतकात रखे . और उनकेशाथ गुस्ताखी - न- करे, - [ एक बापबेटे पर दुनियाकी जबान - ] अवस्थं जनकं तस्य गमनं प्रोचुर्विशोधो व्रजा, श्वारुढं कुरु पुत्रकं कृतमितः पाचपुत्रं तथा । reat feat जधियो ताहि गंतुमना, पद्मां कार्यमितश्वकस्य भवतो मध्येन किं तिष्ठतुः ॥ १ ॥ ३४ - किसी शहर से एक बापबेटा एकघोडा लेकर दूसरे शहरकों जानेकेलिये निकले, राहमें बाप घोडेपर सवार है, बेटा पीछे पैदल चलरहा है, जातेजाते दोचार कोसके फासलेपर जब एक गांवकेकरीव पहुचे गांव के लोग सामने मिले, उनोनेकहा अपशोस है इसबुढेपर - जो आप घोडेपर वेठाहै, और बेटेकों चलारहाहै, इसबातकों सुन : Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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