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________________ गुलदस्ते-जराफत. ( दोहा.) सज्जन समय-न-चुकिये-कहत गुनिजन कूक, चतुरनको खटकतहिये-समय चुककी हूक, १ होनहार हिरदे बसे-विसर जाय सव शुद्ध, जाफी जैसी होनहार-ताकी तैसी बुद्ध, २ जा तनमें विरहा वसै-सो तन कैसा मांस, यही गनीमत जानिये-हाड चाम अरु सांस, ३ (अफीमचीका-किस्सा ) २८-एक अफीमची अफीमके नशेमें बेठेहुवे अपने मकानकी छतसे नीचे गिरपडे, लेकिन ? यह मालूम नही हुवाकि-कौन गिरा, नौकरसे पुछनेलगेकि-देख ! तो कौनगिरा, ? नौकरने देखकर जवाब दिया, हुजुर ! आपही तो गिरेहै, अफीमचीने कहा, खेर ! कुछ हर्जनही, मुनको तो तलाश करनीथी सो करलिइ, फिर बाद थोडीदेरके आप घोडे पर सवार होकर हवाखोरीको चले, एक सहिस शाथमेंथा, आप पुछतेहै अबे ! सहिस ! ! घोडा किधरहै ? सहिसने जवाबदिया आपही तो उसपर सवारहै, अफीमचीने कहा फिरभी खयाल रखना ठीकहै, ताकि-कोइ-ले-न-जाय, सहिस अपने मालिककी चतराइपर हसा और कहने लगा किसकदर नशेमें मतवाले बनेहै, जिनको आपकी और घोडेकीभी मालुमनही, किसी शहरसे चार अफीमची दुसरे शहरकों जानेकेलिये निकले, राहमें एककुवा मिला, उसके कनारे बेठकर चारों अफीमचीने अ. फीमका कसुंबा बनाकर पिया, और नशेमें चकचूरवने, कुवा छोटासाथा इस सबब उसपर कठेरा वनाहुवा नहीथा, उनचारोमेसें एककों एसा नसा चढाकि-उसकी घुमरसे कुवेमें गिरपडा, जब Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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