SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 484
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ३६६ ) नसीहत-उल-आम, कहांतक खाओगे, मगर यहबात उसको अछीनहीलगी, दुसरेरौज उसने खानेकी जगह एकदिवारमें आलाबनाकर खानेकी थाली उसमेंरखी और खडेखडे खानेलगा, जब तीनोभाइयोंने देखा और पुछाकि-क्यों ! आज क्याडंग निकालाहै, ? जो-खडेखडे खारहेहो उसने जवाब दिया जिनको हमारा बेठेबेठे खाना नागवार गुजरताहो उनके सामने हम वेठेवेठे क्यों खावे ? खडेखडेही खालियाकरेंगे, तब तीनोभाइयोने कहाखूबसमझा ! अकलमंदोका यहीकामहै जोकहे कुछ और समझेकु छ, हमनेकहाथाकुछ धंदारोजगारकरो, तुमने यह ढंग निकाला इस मिशाल का मतलब यहहैकि-जोकोइ-अपनेकों नसीहतदे उनसे गुस्ताखी करना सहेज नादानी है, जैसे खानपानसे औरहवासे बदनकी हिफाजत किइजातीहै वैसे मकानसेभी करनाचा. हिये, जिसमकामें हवाकी आमदरफत बनीरहतीहो-बदब-न-आती हो, और अंधेराभी-न-रहताहो ऐसेमकानमें निवास करना चाहिये, जिसमकानमें वारीशकेदिनोमें पानी गिरताहो उसमें रहनावसना ठीकनही, मकानवनानेकी तरकीब मुल्कमुल्कमें अलग अलगहै, मका नके दरवजे और बारीये ऊंचीरखना चाहिये, ताकि-आदमीके सीरकों चोट-न-लगे, चुनाचे ! एकशख्शने मकान नया बनाया, मगर दरवजे उसके बहुत छोटेरखे, हरवख्त जाते आते सीरमें चोटलगनेका खतराथा, एकदफे उसीकेसीरमें इसकदर चोटलगीकिबेहोशहोकर गिरपडा, और खुनभी निकलआया, कहिये : ऐसे छोटे दरवजे रखने से क्या फायदा, ? ९-एकसो-आठहाथ-लंबाघर-चारोतर्फ हवादार कमरे वीचमे चौक-और जिसतर्फ देखो चांदनाहो ऐसे घरमें रहना निहायतउमदावातहै. मकानकी सीढी चौडीबनाना चाहिये, जो-न-बहुत उची और-न नीचीहो, जिसपर बुढा और लडका ब-खुबीचढसके, Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy