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________________ तवारिख-तीर्थ-नाशिक-और-थाना. ( ३५१) कमख्वाब उमदा बनताहै, सोने-चांदीके गेहने यहां अछेतयारहोते है, सरकारी कचहरियां--स्कुल और अस्पताल वगेरा मकानातयहां पुख्ता बनेहुवे है, लकडीकी नकाशी यहां लाइकतारीफके देखोगे, एवलेसे रैलमें सवारहोकर-अंकाइ-मनमाड-समीट-लासलगांवउगांव-निफाड-थेरगांव-खेरवाडी-और ओघा टेशन होते-यात्री नाशिकरोड टेशन उतरे, रैलकिराया पोनसोलहआने लगेगा, ॐ [तवारिख-तीर्थनाशिक-और-थाना,] वंबइहातेके दरमियान-मनमाड जंकशनसे (४६) मील दखन पश्चिमकी रुखपर नाशिकरोड नामका एक रैलवे टेशनहै, और टेशनसे करीब (५) मीलके फासलेपर गोदावरीनदीके दोनों कनारेपर जिलेका सदरमुकाम नाशिक एक पुरानाशहरहै, पेस्तरके जमानेमें इसकानाम पदमपुरथा, और यहांपर एक-त्रिभुवनतिलकचंद्रप्रभस्वामीका निहायत उमदा आलिशान मंदिर बनाहुवाथा, पेस्तर यहां जेनोंकी आबादी ज्यादहथी जमाने हालमें कमहोगइ, सन (१८९१ ) की-मर्दुमशुमारीके वख्त नाशिककी मर्दुमशुमारी (२४४२९) मनुष्योंकीथी, जैनश्वेतांबर श्रावकोके घर करीब (२५) मंदिरभी यहांपर बनेहुवे है, यहांके मकानोपर नकाशीदार लकडीका काम ज्यादह देखोगे, जगहजगह गलियोमें फाटक बनेहुवे है, बाजार रवन्नकदार और हरेककिसमकी चीजे यहांपर मिलसकती है, तांबेपीतलके बर्तनोकी-दस्तकारी-यहां लाइकतारीफके होती है, और यहांके बनेहुवे वर्तन मुल्कोमें मशहूरहै, सरकारी कचरियां-स्कुल-अस्पताल वगेरा मकानात यहां पुख्ता बनेहुवे और सडकोपर रातकेवख्त लालटेनोकी रौशनी लगती है, नाशिकशहरको वैदिक मजहबवालेभी-तीर्थ-मानते है, और गोदावरी नदीके बायेकनारेके हिस्सेमें पंचवटी मौजूदहै, जिलेनाशिकके उत्तरकी रुख Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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