SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 463
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ बीचबयान-गदक-और-दुबली-धारवाड. ( ३४५ ) 3 [बीचबयान-गदक-और-हुबली धारवाड,-] गुंटकनजंकशनसे-( १२३ ) मील पविम कु छ उत्तर जिलेधारवाडमे-गदक-एक अछाशहरहे, सन ( १८९१ ) की सईम मारीके वख्त-गदककी मर्दुमशुमारी ( २३८९९ ) मनुष्यों कोथी. जैनश्वेतांबर श्रावकोंकी आबादी और मंदिर यहांपर मोजूदडे, वाजार खुशनुमा-और-हरेककिसमकी चीजे यहां मिलसकतीहै, रुइ और रेशमकी तिजारत यहां अछीहोती है, गहकसे-यात्री-रैलमें सवारहोकर-हालकोटी-अनीगिरि-डंडुर-और-कुमुगलहोते--हुबलीजंकशन-जाना, रैलकिराया-छ-आने लगेगा, जिलेधारवाडमें-हुबली-एक अछाशहर है, सन ( १८९१) की मर्दुमशुमारी (५२५९५ ) मनुष्योंकीथी, जैनश्वेतांवर श्रावको की आबादी और मंदिर यहांपर मौजूद है, यात्री शहरमेंजाय और जियारतकरे, सरकारी कवहरियां-अस्पताल-ओर--स्कुल वगेरा मकान यहां पुख्ता बनेहुवेहै, बाजार रवानादार-और हरककिसमकीचीजे यहांपर मअस्सर आसकतीहै, अनाज-नमक-रेशमऔररुड़की तीजारत यहां अलीहोती है, हुवलीसे रैलमें सवारहोकर अमरगोल होते धारवाड जंकशन जाना, रैलकिराया अढाइआने लगेगा, HT [ धारवाड,] हुबलीजंकशनसे (१२) मील पश्चिमोत्तर जिलेका सदरमुकाम धारवाड एक-रैलवेका जंकशनहै, सन ( १८९१) की मर्दुमशुमारीके वख्त धारवाडकी मर्दुमशुमारी (३२८४१ ) मनुष्योकी थी. जैनश्वेतांबर श्रावकोकी आबादी और मंदिर यहांपर मौजूद है, किला धारवाडका लाइकतारिफके बनाहुवा, अंदर दिवारके और बहारवारभी पुख्ताखाइ लगीहुइहै, बाजार यहांका अछा और Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy