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________________ ( ३३८ ) तवारिख - लंका. था, यहवात जैनशास्त्र से सावीत है, - गौतमबुद्ध के जमाने में वौत्रमैका प्रचार लंकामे था यहवान योध मजहवके शाखोसे साबीत है, जमाने हालमेतुतीकोरिन बंदरगाहसे दखनपूरवकी रुखपर लंकाटापुका सदरमुकाम कोलंबो एक मशहूर शहर है, और तुतीकोरिन - से कोलंबोतक टीमर आवाजाता है, इसटापुके लंका होने में किसीत - रहका शक-वा-शुभहा- नहीं, क्योंकि-उधर दूसरा कोड जैसाटापु नही कि - जिसको लंका समझे, अवते! रावनके जमाने में ज्यादह तरकीपर था, यहवान पेस्तर जमाने के शाम्रो सावीत है, मुसल मानलोग इसका नाम - सरंद्रीप - कहते है, प्राचीन युनानी ग्रंथो-टोपरोवेन - (यानी ) - रावनका टापु लिखा है, और अंग्रेजी जवानमें सिलोन कहते है, आजकल इसटापुमे - कोलंबो - निंगपु-जाफना क लक्षूरा-चिकामली-कांडी - और अनिरुद्र - ये मशहूर शहर है, लंकाटा में इस बडी नदी -महाबली गंगा है, जो करीब (२०० ) मील लंबी और उसमे नाव बेडे-चलते है, नवारा एलिया नामका एक पहाड-जो- समुंदर के पानीसे (६२००) फीट ऊंचा और वहांकी Haar Baar है, कोलंबोसे वहांतक रैलजारी है - जो - नवघंटे जाकर पहुंचा देती है, लंका टापुमैं- दारचीनी - काली मीर्च - काफीचाय और इलायची इफरातसे पैदा होती है, और अकीक पुखराज-शंगेयशव-तरमेलीन-निलम-लसनिया - गोमेदक-और-विलो र यहांकी खानोसे निकलते है, हाथीयोंकी पैदाय यहाँ कसरतसे देखोगे - जिनकी मजबती-और- पालाकीको सरे जंगलोके हाथी -न-पासकेंगे, शंखभी यहां सर बहुत निकला करते है, Š नारीयल - और - सुपारी यहां कसरत करती है, लोहा-और Pheniat are se है, वहा- यहांकी - उमदा, और यहां वाशिदको अकसर सिंहली कहा करते है, पेस्तर यहां Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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