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________________ wrimarn................................... ( ३१४ ) वयान-भुसावल-बुर्हानपुर-और-खंडवा. उसरौनसे इसकानाम-अंतरिक्षपार्श्वनाथतीर्थ कहलाया-जो-अवतक जारी है, पेस्तरके जमानेमें मुर्तियोम जैसे अजुवात होतेथे-जो-आजकल नहीरहे, बल्कि ! बहुतकम होगये, क्योंकि-अब-बह-जमाना नहीरहा जो पेस्तरथा, तीर्थीमें यह कदीमीरवाज होताचला आयाकि-एक-मंदिर पुराना होकर गिरगया किसी खुशनशीवने उस जगह दुसरा बनवाकर तयारकिया, इसी तरहसे तीर्थका नामवनारहताहै, अगर जैसा-न-कियाजायतो तीर्थका नामनिशानतक बाकी-न-रहे, मंदिर अंतरिक्षजीका-जो-इसवख्त मोजुद निहायत पुख्ता और वैशकिमती है. तीथकर अंतरिक्षपार्श्वनाथकी शामरंगसूति तलघरमें मयफणके करीब अढाइ हाथवडी तख्तनशीनहै, नीर्थअंतरिक्षजीका कारखाना-सुनीम गुमास्ते-नोकरचाकर-सब मौजुद है, जैसा खाव वडेवड तोथाम होताहे यहांपर बना वाहै, श्रीपुरकस्वा करीव पांचहजार आदमीयोकी आबादीका इसवख्त मोजुदहे पेस्तर वडाथा, धर्मशाला-दो-एकवडी और एक छोटी यात्री इसम कयामकर, कोइतकलीफ-न-होगी. पुराना मंदिर जो गांवके वहार पश्चिमकी तर्फ वाकहै, वहकाबील देखनेकहै यात्री तार्थअतरिक्षजीकी जियारतकरके वापिस उसीरास्ते आकोला आव. DS [ बयान-भुसावल-वुहानपुर-और-खंडवा,-] आकोला टेशनसे रैलम सवार होकर- डावकी-गगांव-पारसनागझीरी-सेगांव-जेलम-नांदुरा-विसवा-गल्कापुर-खामखेड-बोदवड-और-वारंगाम होते भुसावल जंकशन उतरना, रेलकिराया आकोलेसे भुसावल तक एकरुपया छ आने लगतह. अगर शहरमें जाना मंजुरहो शाखसे जाय, वरना आगेको रवाना होवे, नाग Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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