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तवारिख-मुल्क-आसाम-और-ढाका ( २९९ ) कीमती और पायदारहै, इसमें तीर्थकर महावीरस्वामीकी मूर्ति तख्तनशीनहै, तीसरामंदिर-जहोरी-कपुरचंदजीका तामीरकिया हुवा इसमें मुलनायक तीर्थकरचंदाप्रभुकी मूर्ति तख्तनशीनहै, ठीक सडकपर इस तरह बनाहुवा है कि-सडकपर खडेहुवेभी दर्शन करलो, __हरसाल कातिकसुदी पुनमकेरौज अफीमचौरास्तेके मंदिरसे सवारी तीर्थकर धर्मनाथजीकी बडेजुलुससे निकलकर दादाजीके बगीचे रौनक-अफरोज होती है, सवारी जिसवख्त शहरसे बडे बाजारमें होकर निकसती है-डंका-निशान-धजा-पताका-वेंडवाजा-महेंद्रधजा--चांदीसोनेके सिंहासन-छडी-चवर-छत्र-वगेरा लवाजमा शाथ निकलताहै, तीर्थकर धर्मनाथजीकी मूर्तिके सामने 'जब जहोरीलोग संगीतकलाके जाननेवाले हारमोनियम वगेरा बाजोकेशाथ तालस्वरसे गाते है. उसवख्तका जलसा काबिल देखनेकेही होताहै. दुफेरके बारांवजे सवारी शहरसे निकलकर चार बजे दादाजीके बागमें जाकर दाखिलहोती है, और तीनरौज वहां कयामकरके चोथेरौज उसी जुलुसके शाथ वापिस शहरमें आती है,-यात्री--कलकतेमें कुछरौज कयाम करे और जैनमांदरोकी जियारत करे,
IT ( तवारिख मुल्क आसाम-और-ढाका,) - कलकत्तेसे अगर कोइयात्री मुल्क आसाम तर्फ जाना चाहे शौखसे जाय, मुल्क आसाम ब्रह्मपुत्रानदीकी इर्दगिर्द चीनकीहदतक चलागया, उत्तरतर्फ भुटान-पूरवमें बर्मा-और-सलतनत मनीपुरहै, जंगल-पहाडियां-हमेशां पानीकी बहुतायतसें मुल्कसरशब्ज और चायके-पेंड -यहां कसरतसे होते है, आसाममें जिलेकामरुपका
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