SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 406
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 17--~ ( २८८ ) तवारिख-तीर्थ-समेतशिखर. संवत् (१९३३) ज्येष्ठ शुक्लदशम्यां-शनिवासरे-अभिनंदन जिनेंद्रस्य-चरणपादुका जीर्णोद्धारः-श्रीसंघेन-कारितः वेदीकेनीचे एकतर्फकी दिवारमें एक शिलालेख लगाहुवा है और उसमें लिखाहैकि- इसवेदीकी मरम्मत-संवत् (१९४२) में शाह-शामजी-पदमसी-साकीन-कछ-मांडवी-श्रीमालवंशीने करवाइ, इसटोंकसे नीचे उतरकर शामलिया-पार्श्वनाथजीके मंदिरकों-जाना. शामलियापार्श्वनाथजीका मंदिर-निहायत कीमती-और-शिखरबंद बनाहुवा इसमंदिरका दुसरा नाम-धुरमटका-मंदिर-भीबोलतेहै, और कोइकोइ जलमंदिरभी कहतेहै, सब मंदिरोंकेवीचमानींदे स्वर्ग विमानके देखलो, जबकि-यहमंदिर-जगतशेठ खुशालचंदजीने तामीरकरवाया जमाने उसवख्तके-रैल-नहीथी. पहाडके नीचेसे उपरतक सब माल-असवाव-इमारतका हाथीयोंपर लदाकर चढायाजाताथा, इसकी तामीरातमें (९३६००० ) रुपये सर्फहुवे, पीछाडी मंदिरके एक शिलालेख लगाहुवाथा, मगर इस वख्त नहीं रहा, इसमें तीर्थकर पार्श्वनाथमहाराजकी मूर्तिकरीब (२) हाथवडी-शामरंग-तख्तनशीन है, और उसकेनीचे लिखाहै संवत् (१८२२) वर्षे-वैशाख शुक्ल (१३) गुरौ-शाह खुशालचंद्रेण-श्रीपार्श्वबिंबं-कारापितं--प्रतिष्टितंच-सर्वसरिभिः-दाहनीतर्फ तीर्थकर संभवनाथमहाराजकी मूर्ति-करीब देढहाथ बडी सफेदरंग जायेनशीनहै, और उसकेनीचेलिखाहै संवत् (१८२२) मे यहमूर्ति प्रतिष्टित किइगइ, और मुगालचंद्र-ओश. वाल-साणसुखागोत्र-साकीन मुर्शिदाबादने तामीर करवाइ, इसके दाहनेपासे एक-और-मूर्ति-तीर्थकरपार्श्वनाथजीकी फणसहित-करीब (२) हाथवडी सफेदरंग जायेनशीनहै. और उसपर लिखाहै Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy