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तवारिख-तीर्थ-समेतशिखर. ( २७७ ) और शेठ-नगीनदसजी-कपुरचंदजी-साकीन सुरतने (५००)-शेठ वल्लभजी-हीरजी-साकीन कलकत्ताने ( २५०) वकील-शिवलजी वाहलजी और लक्ष्मीचंदजी वाहलजी-साकीन काठियावाडने (७०१ )-सुमेरमलजी-लोढा-साकीन अजमेरने (७०० :-राय बहादुर-मेघराजजी-कोठारी-साकीन मुर्शिदाबादने (२०००) रुपये दियेहै. इन धर्मशालोंमें कोइ जैनश्वेतांबर यात्री किसीजगह ठहरे कोइ मनानही, और किसी अमरकी तकलीफभी नही. मु- . साफिरोके आरामकोलिये सब जगहहै,
बगीचा एक- निहायत खुशनुमा-दर्मियान इसीधर्मशालाके बनाहुवा जिसमे गुलाब-चमेली-जुही-गुलदाउदी-कुंद-छोटाचंपा वगेराके खुशबूदार पेंड लगेहुवे और इनके फुल हमेशां देवपूजनमें चढाये जातेहै, यात्री इनधर्मशालाओमें कयामकरे और अपना माल असबाब-मुकफल-करके बंदोबस्तके शाथ दर्शनकों जाय, अवल दर्शन शामलिये-पार्श्वनाथजीके मंदिरका-दरवजेके पास एक शिलालेख लगाहुवा और उसमे लिखाहैकि-जैनलोग-और उंची जातके आर्यलोग इसमें जा सकते है,-शिवाय इसके दुसरा नही जासकता, चौकमें जाकर देखोतो चारोंतर्फ सबमंदिरही मंदिर खडे है, शामलिया पार्श्वनाथजीका शिखरबंद मंदिर बहुत लागतका-और-मूर्ति-शामलिया पार्श्वनाथजीकी करीब ( ३) फुटबडी इसमे तख्तनशीनहै, उसके नीचे लिखाहैकिसंवत् ( १८७७ ) राधराकायां श्रीपार्श्व बिंबं प्रतिष्ठितंश्रीजिनहर्षसुरिणा--कारितं-मिरगांजानिव--सांवतसिंह ज-पदार्थमल्लेन-दाहने पासे-जो-सफेद रंग मूर्तिपार्श्वनाथजीकी-करीब (२) फुट बडी मौजूद है उसपर लिग्या हैकि-संवत् (१८८७) वर्षे-फाल्गुन शुक्ल (१३)
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