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________________ ( २७४ ) तवारिख-तीर्थ-समेतशिखर. सरणका आकार बनाहुवाहै. और शिलालेखमें लिखाहैकि-रिजुवालुकानदीतटे-श्यामाककुटुंबीक्षेत्रे-वैशाखशुक्ल (१०) तृतीयप्रहरे-केवलज्ञान कल्याणिकसमवसरणमभूत्, मुर्शिदाबादबास्तव्य-प्रतापसिंह-तभार्या--मेहताबकुवरतत्पुत्र-लक्ष्मीपतसिंहबहादर-तत्कनीष्ट-भ्राता-धनपतसिंह बहादरने संवत् (१९३०) में इसका जीर्णोद्धार कराया. __ पासम बगीचा एक-जिसमें-आम-कटहेर-केले-अमरुद-गुलाब-चमेली-चंपा वगेराके पंडखडेहै, पूजारी और एक-मालीयहांपर हमेशां वने रहते है, और समेतशिखर-जैनश्वेतांबर-कोठी तर्फसे यहांका सब इंतजाम होताहै, जैनश्वेतांबर धर्मशाला एकजिसमें ( ६ ) कोठरी-और-चारोंतर्फ पका कोट खोचाहुवायात्री-यहांपर ठहरनाचाहे-शौखसे-ठहरे,-या-जियारतकरके मधुबनकों रवानाहो, वराकडगांव बहुत लोटाहै. मगर जरुरतकी चीजे सबमिलती है, रिजुवालुका नदी उतरकर आगे ( ४ ) कोस-समेत शिखर पहाडकी दामनमें मधुबन जाना. जब मधुबन एक कोसपर रह जायगा. हजारीबागका रास्ता छुटजायगा. रास्तेमें एक-जलका नाला-आताहै, समेतशिखर पहाडकी दामन-कहो-या-मधुबनकहो-बात एकहोह, जनलोग इसकों समेतशिखर ताथ-और पारसनाथ पहाडभी कहकर बोलते है, समुंदरके पानीस (४४८८) फुट उंचा-और-ठीकसारेको चोटीपर-जनमदिर-टोंक और-छत्रीये--जिनमें तीर्थंकरोंके चरन जायनशीन है, तीर्थकर पारसनाथकी टोंक-उंची जगहपर बनी इहै इससबबसे जाहिरमें पारसनाथका पहाड कहलाया. जिले हजारीबागम गिरिडीटेशनसे करीब [ १८ ] मीलके फासलेपर समेतशिखर पहाडको दामनमें Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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