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( २६० ) तवारिख-तीर्थ-पटना. बाडेकी गलीसे-या-चौकबाजारसे इक्का-बगी किराये मिलसकतेहै, अगर कोइ यात्री पश्चिमसे आयेहो-या-पटनेसे ध-जरीये रैलके कमलद्रह जानाचाहे-गुलजारबाग टेशनपर उतरे, कमलद्रहतालाव गुलजारबाग टेशनसें बहुत करीबहै, इक्के-बगीकी वहां कोई जरुरत नही, कमलद्रहमें छत्री स्थूलभद्रजीकी पुरानी वनीहुइ और उसपर लिखाहै संवत् (१८४८) में इसकी मरम्मत किइगइ, और जैनश्वे
तांबराचार्य-अमृतचंद्रमरिने-इसकी प्रतिष्ठा किइ, छत्री सुदर्शनशे• ठकी कुछ नीची जमीनपर बनी इ है, जगह निहायतपाक-एकमीठेजलका कुवा-और-दशवारां आमकेपेंड लगेहुवे है, छत्रीके पासकी जमीनमें बडे बडे गढे पडगये है उनमें मीटी भरादिइ जाय और छत्रीकी मरम्मत करादिइ जाय कोइ रोज तीर्थकी हिफाजत बनीरहेगी, करीव (२०००) रुपये सर्फा होगे, ऐसे नीर्थोमें दोलत लगाना हरयात्रीकी फर्ज है. तीर्थो में यह कदीमीरवाज होताचलाआयाकि-एक मंदिर पुरानाहोकर गिरगया किसी खुश नसीवने फिर नया वनादिया इसीतरह तीर्थकी हिफाजत बनीरहती है. ___शहर पटनेसे करीव (१) मीलपर जहां बगीचा दादानीका
और-एक छोटी धर्मशाला वनीहुइ है कोई यात्री वहां ठहरनाचाहे तो-ठहरसकते है,-बगीचेमें-आम-अमरुद-कटहेर--अंजीर--नीबु वगेरा पेंड-और फुलोम-गुलाव-बैला-मोतिया-जुही वगेराके पेंड खडे है, छत्री-दादाजीकी-संवत् (१६८२) की तामीर किइ हुइ
और उसके दरवजेपर शिलालेख लगाहुवाहै, शेठ मृदर्शनके कदमोंकी छत्री यहांभी वनीहुइहै, और कदमोंपर लिखा है. अव्यय पदप्राप्तस्य-श्रेष्टिसुदर्शनस्य-इमेपादुके संप्रतिष्टिते-सकल संघेन-बगीचेके कोटकी सफील एक तर्फसें गिरीहुइहै, वारीशके दिनोमें भीतर बगीचेके-और-छत्रीतक-पानी आजाता है, इसकी
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