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(२४८) तवारिख-तीर्थ-पावापुरी-और-गुणशिलवन उद्यान. तक उनोने आमलोगोंकों तालीमधर्मकीदिइ, साधु-साधवी-श्रावक श्राविका-उसवख्तके कइराजे-और इंद्रदेवतेबगेरा वहांहाजिरथे. उसवख्त तीर्थंकरमहावीरस्वामीसे-गौतमगणधरनेपुछाकि--महाराज! अब-आगे दुनियामें धर्मकापचार कैसारहेगा? तीर्थकरमहावीरस्वामीने जवाबदियाकि--मेरेनिर्वाणकेबाद तीनवर्ष और साडेआठमहिने गुजरेगे जब पांचमाआरा शुरुहोगा. उसरोजसे धर्मकी दिन-बदिन घटतीहोतीजायगी और अछीअछीचीजोंका जवालहोताजायगा, साधुलोग तकलीफ पायगें और असाधुलोग चैनकरेगें, वारीश जैसी होनाचाहिये-न-होगी, देवमंदिर कमहोतेजायगे, और धर्ममेंभी लोग फरेबकरेगें, पांचवेआरके एकीसहजारवर्षमें तेइसदफे धर्मका उदय और तेइसदफे अस्तहोगा, जंबूअणगारकेबाद मुक्तिकाहोना इसक्षेत्रसें बंदहोजायगा, और अधर्मकीद्धिहोगी, इसतरह क्यानफरमाकर कार्तिकवदी अमावासकेगैज जब चंद्रमा-स्वातिनक्षत्रपरथा उनका इसीपावापुरीसें निर्वाणहुवा. (यानी) यहांसे उ. नोने मुक्तिपाइ, देवताओने और मनुष्योने मिलकर उनकेशरीरका यहां अग्निसंस्कारकिया,... क्षत्रीयकुंडगांवकराजा नंदीवर्द्धनने यहां मंदिर तामीरकरवाया जो कमलसरोवरकेबीच अबतक मौजूदहै, दोकोशदूरसे यहमंदिरनजरआताहै और इसका दूसरानाम जलमंदिरभी बोलतेहै,-पावापुरी पेस्तरबहुत आवादी मगर दिनपरदिन कमहोतीगइ, आजकल एकछोटासाकस्वा रहगया, जैनश्वेतांवरधर्मशाला यहांपर (४) कायमहै, दो-पंचायती, एक रायबहादूरखुधसिंहजी-साकीनमुर्शिदाबादकी-और-एक-दुगड-मुन्नीलालबाबु-साकीनमुर्शिदाबादकीयात्री इनमें जहांमरजीहो-आरामकरे, बडीधर्मशालामें एक जैनश्वेतांबरमंदिर पनाहुवाहै, और इसमें तीर्थंकर महावीरस्वामीकी मूर्ति
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