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तवारिख-तीर्थ-बनारस. ( २२७ ) तेइसमें तीर्थकर पार्श्वनाथ इसी बनारसमें पैदाहुवे, चवन-जन्म-दीक्षा-और-केवलज्ञान--ये--चारकल्याणक उनके यहांहुचे, अश्वसेनराजाकेघर-वामारानीकी कुखसे पोषवदी (१०) विशाखा नक्षत्रकेरौज उनकायहां जन्महुवा, तीर्थकर पार्श्वनाथजीने अपना विवाह नहीकराया, दीक्षाके पेस्तर एकसालतक उनोने यहांवहुतसी खैरातकिइ. और पोषवदी ( ११ ) के रौज दुनयवीकारोबार छोडकर उनोने यहां दीक्षा इख्तियारकिइ, और चैतबदी (४) के रौज उनको यहां केवलज्ञान पैदाहुवा, इंद्रदेवते वगेश उनकी खिदमतमें आतेथे, बनारसके चारहिस्से पेस्तर मशहूरथे, देववाणारसी राजवाणारसी-मदनवाणारसी-और-विजयवाणारसी, बडेबडे बन खंड-उद्यान-और-बागबगीचे यहांमौजूदथे, जिसमें तरहतरहके फल-और-फुल पैदाहोतेथे, अबभी किसीकदर कमनही है, इल्म संस्कृतकी यहां हमेशां तरक्कीरही,
चीनामुसाफिर हवांक्तसांगने अपने सफरनामेमें लिखाहै-मैने -शहर बनारस बचश्म देखाथा. राजाजयसिंहजीके बनवाये हुवे चंद्रसूर्य और तारा वगेराके देखनेकेयंत्र पेस्तर यहां बनेथे आजकल विल्कुल उमरम्मतहै, ज्योतिषकी वेधशाला पेस्तर इसलिये बनाइ जातीथीकि-ज्योतीषीलोग चंद्रमूर्यतारा वगेराके चलनेफिरनेका हाल ब-खूबी-मालूमकरसके, वनारसको इमारते बहुतखूबमुरत और संगीनहै, गलियां तंग और मकानात इतनेऊंचकि-गर्मीयोंकेदिनोमें चलनेफिरनेका बडाआराम-छातेको कोइदरकारनही, छांव छांवमें हरेकजगह घूमआओ, बनारसकी मर्दुमशुमारी छावनीको मिलाकर (२१९४६७) मनुष्योंकी-चौकबाजार बडागुलजार-और-हरेक किसमकीचीजें यहांपर मिलती है, सडकेलंबीचाँडी और हरजगह पानीकानल मौजूदहै. बाजारमें पुरी-कचौरी-हरवख्त तयारमिल
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