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________________ (२२४ ) बयान-भुल्कनयपाल-और-हिमालय. कवन उद्यानमें मुलाकात हुइथी, और धर्मचर्चा के बारेमें बहेस हुइथी. ___ बडेबडे नवखंड और बागबगीचे यहांपर मौजूदथे. अबभी तरह तरहकी जडी बुटीये यहांपर खडी है, कुवे-तालाब-द्रख्तोके झुंड और-जगह सोहावनी नजर आती है. सावथ्थीकी क्षेत्रफरना करके-यात्री अपनी जियारतकों कामयाबहुइ समझे. जिसके बडे भाग्यहो ऐसे तीर्थकी जियारत करे. और अपना परलोकका रास्ता साफकरे, यात्री सावथ्थीकी क्षेत्र स्पर्शना करके वापिस उसी रास्ते बलरामपुर आवे. CF [ मुल्क नयपाल और हिमालय,-] मुल्क नयपालमें पेस्तर जैनतीर्थ था, जैनचैत्यस्तवनमें लिखा है, श्रीमाले मालवेवा मलयजनिखिले मेखले पीछलेवा, नेपाले नाहलेवा कुवलयतिलके सिंहले मैथलेवा, डाहाले कौशलेवा विगलीतसलिले जंगले वातिमाले, श्रीमत्तीर्थकराणां प्रतिदिवसमहं तत्रचैत्यानिवंदे, ५ इसमें नपाले-ऐसा जोपाठहै इसका माइना यहहुवाकि-मुल्क नयपालमें पेस्तर जैनतीर्थया अवनहीरहा. नयपालके लोग ताकतवर आवहवा अछी और बोली उनकी नयपाली है, रास्ता पहाडोंका-और कइजगह पगदंडीभीहै, सागवान-और-सागकी लकडी ज्यादह, हाथीभी नयपालमें पैदाहोते है जिसमें सफेदरंगके हाथी ज्यादह देखोगे, कस्तूरी नयपालमें अछी मिलती है. नयपाल राज्यमें बगेर इजाजत नहीं जायाजाता. पहाड हिमालय हिंदुस्थानकी उत्तर सरहदमे-काश्मिरसें लगाकर वंगालतक चलागया. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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