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________________ तवारिख-तीर्थ-रत्नपुरी. ( २१७ ) केवलज्ञानकल्याणककी स्थापना और उनकेकदम बनेहुवे है, मंदिर पुख्ता और चारोंतर्फ चार छोटेछोटे जिनालय-कता वजा समवसरणकी--अतराफ संगीन कोट खीचाहुवा और वीचमें उमदा चौक-जिसमें-(१०००) आदमी बखूबी बेठसकते है, देखकर दिल खुशहोगा,__ अग्निकोंनके जिनालयमें तीर्थकर धर्मनाथ और महावीर स्वामीके कदम तख्तनशीनहै, नैरूत्यकोनके जिनालयमें तीर्थकर धर्मनाथजीके चवन कल्याणीककी स्थापना और कदम तख्त नशीनहै, वायव्यकोनकें जिनालयमें जन्म कल्याणककी स्थापना इशानकोंनके जिनालयमें दीक्षाकल्याणककी स्थापना और कदम तख्तनशीनहै,-मंदिर पुराना होनेकी वजहसे मरम्मत दरकारहै, जोकोइ यात्री तीर्थों में दौलत खर्चकरनाचाहे जैसे तीर्थों में करे, करीब पांचहजार रूपयेमें इसतीर्थकी मरम्मत होसकतीहै, छोटा मंदिर तीर्थकर रिषभदेव माहाराजका-इसमें तीर्थकर रिषभदेव महाराजकी मूर्तिकरीब पोनेदो हाथबडी तख्त नशीनहै, कुल्लमूर्तिये इसमें (८) है, जिनमें ( ६ ) मूर्ति राजासंपतिके वख्तकी-और (२) उनके बादकी बनीहुइहै, धर्मशालामें बगीचा एक-जिसमें -आम-अमरूद--शरीफे-बेल-इमली--कटेर--जामुन-और आवले वगेराके पेंडखडे है, फुलोमें गुलाव-चमेली-३लावगेराके फुलभी पैदाहोते है और हमेशांकी पूजनमें चढायेजातेहै, दोंनों मंदिरके दोपूजारी-और-दो-नोकर यहांपर तैनातहै, दोनों मंदिरके वहीखाते अलग अलग बनेहुवे है, बडेमंदिरमें चारखाते है, अवलभंडारका, दोयमजीर्णोद्धारका-तीसरा साधारणका-और-चौथा गेहने आमूषणका, जिसका जीचाहे उसखातेमें रूपया देवे, छोटे मंदिरके दो-खाते है, अवल भंडारका, दूसरा साधारणका-जिसकी मरजीहो २८ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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