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तवारिख - तीर्थ - कौशांबी. ( २११ ) नामनिशान अबनहीरहे, उज्जैननगरीके राजाचंड प्रद्योतने कौशांबीपर चढाइकिथी, और उसका इरादाथाकि - कौशांबीके राजाशतानिकी रानीमृगावतीकों -- लेकर अपनीरानी बनालु, मृगावती बडीपाकदा मनथी, जबतक शतानिकराजा लडतारहा चंडप्रद्योत उसे- न - लेसका, जबशतानिकका इंतकालहुवा रानीमृगावती-तीर्थंकर महावीरस्वामी के चरनोमेंगइ और दुनियादारीको छोड़कर दीक्षाइख्तियार किइ, - जबकोइशख्श दुनियादारीको छोडकर दीक्षा sererrat और धर्मका सहारालेवे तो उसको कोइ क्याकरसकता है ? दुनियामेधर्म उमदा चीज है, अजहद तकलीफ में भी धर्मही कामदेता है, -
शतानिकराजाका बेटा - उदयन - जोकि - गानेकेइल्ममें- आलादर्जेपर पहुचाहुवाथा चंडप्रयोतने चाहा उदयन - उज्जेनमें आकर मेरी लडकी वासवदत्ताको इल्मगानेका शिखलावे, चंडप्रद्योतने उदयनको बुलानेकी कौशिशकि, मगर उदयन राजी न हुवा, असल में इल्मदारलोग अपनेइल्म में मशगुलरहते है, रुपयेपैसेकी परवाह नही करते, आखीरकार चंडप्रद्योतने उदयनकों धोखादेकर उज्जेन बुलवाया, और कहा वासवदत्ताको गाना शिखलाओ, उदयननेकहा इल्मसिखलाना - उस्तादकी मरजीके ताल्लुक है, अगर मुताबिक मेरेफरमानके चलेगी, बेशक! इल्म सिखजायगी. चंडप्रद्योतने कहा तुम तालिमदेना शुरूकरो, उदयनने कुबुलकिया खेर ! मैं उसे तालिमदूंगा, चंडमयोतने उदयनकों कहा- वासवदत्ता एक आंखसे कांणी है - वह शर्मकरेगी, इसलिये तुमारे दोनोंके बीचमें पर्दा बांधकर तालीमदेना, इधर वासवदत्ताकों कहा उदयनके बदनमें - कोटकी बीमारी है तुमबीचमें पर्दा लगाकर पढना, ऐसा-न- होकि उसकी बीमारी तुमकों लगजाय, भाखरीश पर्दालगाचा
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