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________________ ( २०४ ) दरबयान - शहर - आगरा. तरहकी चीजे यहां पर मिलती है, शामकेवख्त बडीरवन्नक देखोगे. जगह जगह परखुमचेवाले तरहतरहकी मीठाई और चुरनवाले चुरन बेच रहे है, अमीर उमराव उमदापुशाक पहनेदुवे शामको जबहवाखोरीको निकलते है वही रवन्नक मालूम देती है, जैनयात्री लोनमंडी और रोशनमहोलेमंजाकर जैनमंदिरो के दर्शनकरे, बडेबडे आलिशान जैन श्वेतांबर मंदिर बने हुवे है, जिनमें चिंतामणी पार्श्वना थजीका मंदिर बडाखूबसुरत है, जबकि - जैन श्वेतांबराचार्य हीरविजयसूरिजी शहर आगरेमें तशरीफलायेथे जैनधर्मकी तरकी अच्छी हुइथी. जमानेहाल में जैन श्वेतांवरश्रावक के घर यहांपर ( २० ) के अंदाज है. - कड़बागबगीचे और मकान वडेही सोहावन बने हुवे है, जमनाकेकनारे पकाघाट-और-रैलका दोमंजिला पुल- निहायतपुख्ता बंधावा, आगरेमें कारचोबीका काम - पथरका कामऔर विछानेकी दरी उमदावनती है. जमनाके दाहनेकनारे आगरेका किला एकदेखनेकी चीज है, और जोकोइ उसमें जाना चाहे पासलेकर देखनेकों जायाजाताहै, सन ( १५६६ ) इस्वी में बादशाह अकबर ने इसकों तामीर करवाया, दिवानेआम - दिवानेखाससुनहरा सायवान - अंगूरीबाग - शीशमहल वगेरा कीमती मकान इसमें बनेहुवे है, किलेसें - एक मीलके फासलेपर जमनाके दाहने कनारे ताजमहल एक मशहूर मकान है, सन ( १६३० ) इस्वीमें बादशाह - शाहजहांने अपनी मुमताज महलबेंगमकी कबरके लिये बनवाना शुरू किया जोकि ( १७ ) वर्ष के असमें तया रहुवाथा, चातर्फ बाग - चारसडके - जलके फवारे - होज - मारवल पथरका - फर्स - कs कमरे - महेरा - और चारोंतर्फ चारमनारे बनेहवे है, जैन यात्री आगरेके जैनमंदिरो के दर्शन करके तीर्थ - शौरीपुरकी जियारत कलिये रवानाहोवे, आगरेसें- कुबेरपुर - एतमादपुर-टुंडला जंकशन Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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