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दरबयान-शहर-आगरा. . (२०३ ) दुसरे सेंकडेके पौन भागसें कमनही होसकता. क्योकि-इस्वीसन (७८) वा-(७९) के वर्षमें कनिष्कमहाराज-तख्त नशीन हुवा सबुत होचुकाहै,
मथराकी जियारत करके जो यात्री वृंदावन जानाचाहे तो व जरियेरैल जासकते है.मथरासे (६) मील उत्तर यमुनाके दाहने कनारे वृंदावन एक गुलजार कस्वाहै. मथरा छावनीटेशनसें (८) मीलकी रैलवेशाखा वृंदावनको गइहै, सन ( १८९१ ) की मर्दुममशुमारीके-वख्त-वृंदावनकी मर्दुमशुमारी (३१६११) मनुष्यो की-जैन श्वेतांबर श्रावकोंकी आबादी यहांपर नहीरही, बाजार लंबाचोडा-और-हरेक किसमकी चीजे यहांपर मिलसकती है, निजवन-सेवाकुंज-कालिद्रह-और-चीरघाट-अलग अलग स्थानबने हुवे है, वृंदावनसे यात्री-वापिस मथरा केन्टान्मेट टेशनको आवे, और वहांसे आगरे जानेवाली रैलमें सवार होकर-भंसा-पारखाम और अचनेरा जंकशन होतहुवे आगरा फोर्ट जावे. रैलकिराया छआने लगते है,
1 [बयान-शहर-आगरा, जमनाके दाहने कनारे जिलेका सदरमुकाम आगरा एक अजिब और नायाब शहरहै, सन (१८९१ ) की मर्दुमशुमारीके वख्त आगरेकी मर्दुमशुमारी ( १६८६६२) मनुष्योंकीथी. आगरेकादूसरानाम अकबराबादभी बोलतेहै, करीबटेशनके धर्मशाला पनीहुइ और किरायेकेमकानभी मिलसकतेहै, यात्री जहां सुभीता देखेकयाम करे, शहरके मकान निहायतखुबसुरत ओर पथरके पनेहुवे जिनपर खुली छत देखकर दिलखुशहोगा, सडकेलंबीचोड़ी बजार गुलजार-पुरीकचौरी मेवामियइ-शाल दुशाल और तरह
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