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________________ ( १८८) दरबयान-शहर-अमृतसरं. ताहै, गालीचे यहांके वडेउमदा-और-दस्तकारीका-कामभी मशहूरहै, मुसाफिरोके लिये शहरमें दो-सराये बनीहुइहै, जैनश्वेतांवर श्रावकोके घर अंदाज पचीस-और-एक-जैनश्वेतांबर मंदिर यहांपर मौजूद है-यात्री-शहरमें जाकर दर्शनकरे. सिख्खोंका गुरूद्वारा-जिसकों दरवार साहब-बोलते है बीच शहरके वनाहुवा काबिल देखनेके है,-आसपास तालाव करीब (४७५) फुटलंबा-और-उतनाही चौडा-चारोतर्फ सफेद मारबल और कालेपथरोंका फर्स--और--तालावके जलसे उपरतक सफेद मारवलकी सीढियां बनी इहै, ठीकबीचमें सुवर्ण मंदिर जिसकी दिवारोंपर और उपरके भागमें तांबेके पतरे और उनपर सोना लगाहुवाहै इसलिये इसको सुवर्ण मंदिरभी वोलते है, इसमें सिख्खोंका धर्म पुस्तक जिसकों ग्रंथसाहब बोलतेहै रखागयाहै, और उसका पूजन होता है,-मंदिरकी मंजिलमें एक छोटासा-शीशमहल,--और तालावके एक कनारेसे मंदिर तक जानेका पुल बंधाहुवाहै. अमृतसरके जैनमंदिरका दर्शनकरके यात्री-पठाणकोट जानेवालोरेलमें सवार होकर पठाणकोटको जावे. वेरका-काठुनंदगालजयंतीपुर-बटाला-छीना-धारीवाल-सोहल-गुरुदासपुर--दीनानगर-परमानंद-जकलारी-और-सारना टेशन होतेहुवे पठाणकोट उतरे रैलकिराया साढेवाराह आने लगते है, पढाणकोटसे कांगडा( ५१ ) मीलके फासलेपर-रास्ता पकीसडकका-और-इका वगी वगेरा सवारीजाती है. किराया पांचरूपये जातेके-और-उतनेही आतेके समझो. रास्ते पडाव तीन-नुरपुर-कोटला-और-शाहपुर जहां दिलचाहे रातको ठहरजाओ, कोइतकलीफ नही, Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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