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तवारिख-तीर्थ-हस्तिनापुर. ( १८३ ) बगीचा एकयहांपर मंदिरकी पूर्वतर्फबना हुवाहै मगर बंदरोंके सबब द्रख्तोंकी बढवारी कमहोती है, ताहम ! इसमे हरेक किसमके द्रख्त मौजूद है, मशलन ! आम-अमरूद-कमरख-खीरनीअनार-नींबु-चकोतरा-नारंगी-शरीफा-जामुन-जमोआ-सीसमनींबवगेरा, और फुलभी हरेककिसमके पैदाहोते है मंदिरमें मूलनायक तीर्थकर शांतिनाथ महाराजकी करीव देडहाथ बडीमूर्त्तितख्तनशीन है, जो राजासंप्रतिकी तामीरकिइ-वही--निशान इसपर पायेजाते है, दाहनीतर्फ सोमंधर स्वामीकी मूर्ति करीब सवाहाथ बडी जायेनशीनहै और यहभी-राजासंप्रतिहीकी तामीर कराइहुइहै बायी तर्फ तीर्थकर अभिनंदन स्वामीकी मूर्ति सवाहाथवडी जायेनशीन है और उसपर लिखाहै-संवत् ( १६८२ ) जेठवदी नवमी गुरूवारके रौज यहप्रतिष्टित किइगइ,-तपगछके आचार्य-विजयदेव मूरिजीके जमानेमें-विवेकहर्षगणिके शिष्य-महोपाध्याय-मुक्तिशागरगणिने इसकीप्रतिष्टाकिइ, एकपूर्ति करीब पौनहाथ बडी जोतीर्थकर शांतिनाथ भगवानकी है उसपर संवत् ( १९३१ ) लिखा है, नवमूर्ति-सर्वधातुकी-और-एकसिद्धचक्र यंत्रभी-बनाहुवा मौ जूदहै, परकम्माके पास दाहनीतर्फके जिनालयमें तीर्थकर कुंथुनाथ भगवानकी मूर्ति जायेनशीनहै, और उसपर संवत् ( १९३१) लिखाहै, बायीतर्फके जिनालयमें तीर्थंकर-अरनाथ भगवानकी मूर्ति जायेनशीन है और उसपरभी संवत् (१९३१) कादर्ज है,--अधिष्ठात्रीदेवी निर्वाणी--और--यक्ष गरूडकी मूर्ति संवत् ( १९२९ ) वैशाख मुदी तीजकी प्रतिष्टितभी इस मंदिरमें मौजूदहै,
मंदिरका चौक निहायत उमदा-जब-वडीपूजन-पढाइजाती है सबलोग इसीमें बेठतेहै, उपर इसके लोहेकी जाली लगी हुइहै
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