SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 256
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (१३८ ) तवारिख-पंचतीर्थी. जैनधेतांवराचार्य यशोभद्रमरि अपने मंत्रबलसे इसमंदिरकों उडाकर यहां लायेथे. जैनश्वेतांबराचार्य यशोभद्रसारिका-और-शैवाचार्यका मंत्रविद्याकेबारेमें यहां विवाद हुवाथा. लोगोने कहा ऐसेविवादसे क्याफायदा ! कोइबात ऐसीकरजाओकि-यहांपर आपलोगोंकानाम हमेशांकेलिये बनारहे, उसवख्त जैनश्वेतांबराचार्य-यशोभद्रमुरिजी यहमंदिर तीनसोकोशके फासलेपरसे-उडाकर-अपनेमंत्रबलसे यहां लायेथे और जमीनपर कायमकियाथा, शैवाचार्य अपनेमंत्रबलसे अपना शैवमंदिर उडाकरलायेथे जोदुसरीतर्फके दरवजेकेपास मौजूदहै, कुछलेखी सबुतइसवातका नहीमिलता, सीर्फ ! यहांकेलोगोंमें यहबातमशहुरहै, बयान तीर्थ नाडुलाइ खतमहुवा, नाडुलाइसें रवानाहोकर यात्री-घाणेराय-कस्बेकोजावे. जो पंचतीर्थीमें-चोथेदरजेपर वाकेहै, जैन श्वेतांवर श्रावकोकेघर-यहांकरीब (२००) और (१०) जैनश्वेतांवरमंदिर बनेहुवे है दर्शनकरके दिलखुशहोगा, कस्बेघाणेरायसे करीव (१॥) कोशके फासलेपर एकमंदिर जो मुछालामहावीरकेनामसे मशहुरहै जंगलमें बतौरदेव विमानके खडाहै, और इसमें तीर्थकर महावीरस्वामीकी अतिशय युक्त मूर्ति तख्तनशीनहै, रंगमंडप बडाआलिशान-और-सबकाम संगीनबनाहुवा धर्मशाला बहुतबडी-जिसमें-जाकरयात्री आराम करे. पासमें जलका हौजवनाहुवाहै, अतराफ मंदिरके झाडीझुखड -द्रख्त-और-पहाडही-पहाडनजर आते है, जंगल में मंगल इसीका नामहै, खुशनसीबोने क्या क्या कामकरवतलायेहैकि-जिसकी तारीफ बेमिशालहै, जिसकों धर्मप्याराहै-दिलकेदलेरहै-वही ऐसेकाम करसकेगें, सूमऔर बखील जोकि-अपनी कमाइहुइ दौलतआप नहीखा सकते, ऊनसें काम होना मोहालहै, बयान तीर्थ घाणेराय Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy