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________________ ( १०६ ) तवारिख-तीर्थ-आरासण. मीब-खूबी ठहरसकते है,-तीर्थकुंभारीया और-आबुजानेवालेयात्री इसीखरेडीटेशनपर उतरतेहैऔर यहांसेदोनोंतीर्थकी जियारतकलिये जाते है, पेस्तरकुंभारीयाजीतर्फ जानेवालेयात्री खयालकरे, उनकेलियेरास्ताबतलायाजाताहै. खरेडीसेकुंभारीयातीर्थ करीब ( १२) कोशकफासलेपरवाकेहै, सवारिकेलिये-डोली-घोडा-और-बैलगाडीतयारमिलतीहै, डोलिकाकिराया साढेपांचरूपये-घोडेकाएक रूपया-ग्यारहआने-और गाडीकेपोनेचाररूपये- सीर्फ ! जानेकेही लगतेहै, ऊतनेही वापिसआनेकेभी समझलिजिये, खरेडीसे रवाना होकरयात्री कुंभारीया तीर्थकोंजाय, F[ तवारिख-तीर्थ-आरासण,. कुंभारीयातीर्थका असलीनाम-आरासणतीर्थ है, जमानेहालमें आरासणपहाडपर जोकुंभारीयागांवहै असलीनाम-आरासणनगर था,-पुरानेशिलालेखोमेंभी आरासणनाम लिखानिकसताहै, यात्री खरेडीसे कुंभारीयागांवजाय, रास्ता-कठीन-कइजगह-नदी-नाले और बहुतसा झाडीझुखडआताहै, उसकोपारकरके जब-आरासण पहाडके करीबपहुचोगे-एकतर्फ अंबादेवीका धामआयगा, इससे आगेकरीब कोशभरदूर कुंभारीयागांव मौजूद है, जहांकि--बडेबडे आलिशान पांच-जैनमंदिर-बतौर स्वर्गविमानकेखडे है,-वहांजाकर धर्मशालामें कयामकरना, कुंभारीयागांव सीर्फ ! साठ-सतरघरोकी आबादीमें-रहगया. पेस्तर बडागुलजारथा, अमलदारी यहांपर दांताके राणासाहबकी जारी है, पेस्तरलिखचुके है यहांपर बडेबडे पांचआलिशान मंदिरखडे है, और उनकीपूजनकेलिये-एकमुनीम तीनपूजारी-और-एकनोकर मुकररहै, Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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