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तवारिख-तीर्थ-गिरनार. (८१) खास ! जुनागढकी मर्दुमशुमारी ( ३१६४०) मनुष्योकीअस्पताल-कचहरी-और-कइउमदाउमदा मकानात यहांपर तामीरहै रुइकी पैदाश ज्यादह-सकरबाग-और सिरदारबाग यहां देखनेकी जगहहै, उमदा मकानात-पानीकानाला-और-और-हिरन-वगैराजानवर इसमेंरखेहुवेहै, महोले उपरकोट-किला-रायखेंगारकेवख्तका-तालाव-पुरानीइमारतें--औरतलघर अजनवीवनेहुवे है, फाटककेउपरसन ( १४५० ) इस्वीकावनाहुवा एकशिलालेखदो-पुरानीतोपें-जुमामशजिद-दो-चावडीयें-और-कइगुफायें बनीहुइहै, जैनश्वेतांबरश्रावकोंकेघर जुनागढमेंकरीव ( १२५ )-महोले उपरकोटमें धर्मशालातीन-एक हेमाभाइशेठकी-दूसरी–बाबुकीतीसरीलीमडीवाली पुरीबाइकी-यात्रीकोइख्तियारहै दिलचाहेवहां ठहरेकोइमनानही, जैनश्वेतांवरमंदिर जुनागढमेंदो-एक शिखरबंद
और-दूसराछोटा-तामीरहै, खजानातीर्थ-गिरनारका-देवचंद-लक्ष्मीचंदकेनामसे-जुनागढमें नारी है. मुनीम-गुमास्ते-नोकरचाकरघंटाघडीयाल-चोकीपहरा-चपरासी-वगेरासवठाठराजसी, जमाने तीर्थकरनेमनाथजीके बडेबडेमहेलात-और-किले--यहांपरमोजूदथे, दशदशाखरवीरपुरपके बनायेहुवे वडेवडे आलिशान-मकानकिजिनपरवेंशुमार दोलतलगीहुइ-और-खजानेयहांपर मामूरयें, अ. बभीवहमकानात-औरखजाने जमीनसेनिकलते नजरआतेहै, पेस्तर यहाएकगढनामका किलापूरवदिशातर्फ मशहूरथा-और-उसकेतीन नामथे-उग्रसेनगढ-जीर्णगढ-औरखेंगारगढ-जिसमें-जीर्णगढकानाम जुनागढकहलाया, संस्कृतजवानमें जुनेकोंजीर्णकहते है, इसीलीयेलोग भाषामेंजुनागढनाम मशहूरहोगया, पेस्तर यहांपरतीर्थकररिषभदेवभगवानकाबडापुराना मंदिरथा. यादववंशीराजौने कइ-जैनमंदिरयहां तामीरकरवायेथे जोकि-व-सबबगर्दासजमानेके अबनहीरहे. बाद.
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