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________________ तवारिख-तीर्थ-शत्रुजय. (६७) जगह-केसरचंदनघीसनेवालेपूजारी-और--एकतर्फगुप्तभंडार बना हुवाहै. फूलवेचनेवालेमालीलोग तरहतरहकेफुललेकर यहां बैठेरहते है यात्रीकोंफुलकीदरकारहो पैसेदेकरशौखसेलेलेवे. दिवानवस्तुपाल-तेजपालकेबनाये कीमतीमंदिरइसीटोंकमें तामीरहै, विमलवशी टोंककेदर्शनकरके वापिसलौटतेवख्त वाघनपोलकोआना, शेठनरसिंह-केशवजीसाकीन मुल्ककछका बनायाहुवा बेशकीमतीमंदिर जोहालहीमें नयातामीरहुवाहै देखकरदिलखुशहोगा,___ [दूसरीटोंक मोतीशाहशेठकी.] मोतीशाहशेठने यहटोंककिसकदर मेहनतसेवनवाइहैकि-जिसकीतारीफमीशालहै. पेस्तरयहांपर एककुंतासरनामका बडाभारी खडा--यानी-पहाडकी एकखांहथी. शेठमोतीशाहने इसकों ( ९५३००० ) रुपयेखर्चकरकेभरवाया. और उसपरयहटोंक तातीरकरवाइ. बडाभारीआलिशान मंदिरदेखकर दिलतर-वा-ताजा होताहै, संवत (१८९३) मेंइसकीप्रतिष्टाकिइगइ, खर्चाइसटोंकका अवतकमोतीशाहशेठकी पुस्तानपुस्तसेचलताहै, शाहअमरचंदखेमचंद साकीनदमन-जोकि-इसीमोतीशाहशाहशेठके-दिवानथेएकबडा भारीमंदिर इसीटोंकौउनोने तामीरकरवाया.-औरएकस्वस्तिक जिसमें नवरत्नलगेहुवे हैबनवाया. औरभीकइखुशनसीव ओरदौलतमंदलोगोने यहांमंदिरबनवाये है, इसटोंककीखूबसुरती कहांतकवयानकरे ! खास ! मोतीशाहशेठके मंदिरकीचारोंतर्फ इसकदर उमहा तौरसे परकम्मावनीहुइहैकि-जिसकोंदेखकर-आंखे-तरहोजाती है, मोतीशाह शेठफेबनायेहुवे मंदिरकेसामनेउनकी और उनकी आरतकीर्ति संगमर्मरपथरकीबनीहुइखडी है औरआजीजीकररहे हैकि हमने-कुछभीखर्चनही किया. जायेगौरहेकि-मोतीशाहशेठने इसटोंकके. बनानेमेंबेशुमारदौलतसर्फकिइ-मगरफिरभी यहीकहरहे हैकि-हमने Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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