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नवारिख-अश्वावबोध-और-शकुनिकाविहार. ( ३९ ) नमो अरिहंताणं-पद बोला, मुदर्शनाको उसपढ़के सुनतेही मूर्छा आइ. और जमीनपर गिरपडी, लोगोन समझा बनिया कोइजादुगिर है, कुछ असरकिया मालूमदेता है, यहांतककि-कइलोग-उसकों मारनेपर आमादा हुवे. उधर सुदर्शनाको वादमूर्खाके जातिस्मर्णज्ञान पैदाढुवा, जातिस्मर्णज्ञान उसको कहतेहै-जिसकेजरीये अपना पूरवभव दिखाइ दे, मुदर्शना जब सचेतहुइ और देखतीहै-तो-उस वनियेपर सबलोग नाराजहोरहेहै, कहनेलगी क्यों इसकोंतंगकरते हो ? लोगोने कहा तुमपरइसने जादुकियाथा. सुदर्शना कहनेलगी सव-झूठेहो, यहवडानेकहै कि जिसकी निगाह धर्मपरइतनीवढीहुइहै, इसनेजो-नमोअरिहंताणंपदपढा, मुनतेही मुजेमूर्छा आइऔरज्ञान हुवा. इसवातकों मुनकरसवलोग उसकीतारीफकरनेलगे-औरकहने लगेकिवडानेक शख्श है,
राजानेमुदर्शनासे पुछाक्योक्या ! माजराहै, ? और किससबवसे तुं ! हेरानपरेशान है, ? उसनेकहा नमोअरिहंताणंपदमुननेसें मुजेज्ञानहुवा-और अव-मैं-अपनापूरवभवदेखतीहूं. नर्मदाकनारे भरुअछशहरके कोरंटवनमें-में-एक-शकुनिका-( यानी) आस्मानमें उडनेवाली चीलयी. औरवहांके एकपेंडपर-रहतीथी, वारीशकीमौसिमकेवख्त सातरौजतकवारीशहुइ. औरएकदमभरभी-नथंभी, मुजेइतनी भूग्वलगीकि-उसबख्न-मेराजिनादुसवार था, आठवेरौजपेंडसे उडकर-मैं-भरुअछशहरमेंगइ, और एकशिकारीके मकानपरदेखतीहुं-तो-मांसकाढेग्लगाहवादेखा, मैने उसमेसें मांसका एकटुकडाऊठाया. और उडकरकोरंटवनमेंअपने कयामीमकानपर आइ, शिकारीतीरकमानलेकर मेरेपीछे आया, औरनिशानालगाकर तीरमाराकी-मैं-जमीनपरगिरी, औरचिल्लाने लगी, एक-जैनाचार्य जोकि-उसरास्तेहोकर किसीतर्फको जातेथेमेरेरौनेकी अवाजमुनकर
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