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________________ ( २८ ) तवारिख - शहर - नंबर. नकेहालातभी इसमें दियेजायगें, किसकिस जगह कौन कौनसे तीर्थकर हुवे ? उनके पंचकल्याणिक कहांहुवे ? और कौन कौन सेमुनिकांपर मुक्तिपाये, अतिशयक्षेत्र कौन कौनसेंथे ? और किसकिसराजेमहाराजीवख्त उनकी तरक्कीहुइ ? वगेरावातें इस किताब में दर्ज कि गइहै, इसकिताबके बनाने में इतनी मेहनत हुई है कि - ताबेउमरकी मेहनत एकतर्फ - औरइसकी मेहनत एकतर्फ, जहांतकबना तमामजगहघूमकर जोजोहाल अपनी आंखों देखा इस किताब मेलिखा है, कुल तीर्थों की तलाशी में बहुतकुछ मेहनत हुई है, पुरानेतीर्थों की तवारिखजैनशास्खोसे - इतिहासिककिताबोंसे और शिलालेखोसे लिइगइहै, - इसको पढकर आमलोग फायदा हासिलकरे, हिंदी अकलीममें दखन समुद्रकेकनारे बंबइ एक-नायाव - और- बेमिशालशहर है, जिन्नत - खूबसुरत हरएकचीजकेबसमे-औरउमदगी मकानात में बs - बहेत्तर - व - ज्यादहहै, मुंबादेवीकेनामसे शहरकानाम - बंबइ कहलाया, अंग्रेजी ज्वानमें इसकों Bombay बोंबे - बोलते है, करीब (१२५) वर्षपेस्तर बंबर बहुत छोटाशहरथा. दिनपरदिन इसकी तरक्की होतीगड़, सन ( १८१८) मँबबई बहुत बडामारुफ और मशहूरशहर कहलाया, औरदरियात्र के शहरोंमें बडीइज्जतपाइ, बंबइहातेकी चोडाईकम – मगरलंबाई उत्तरदखनकॉ करीब (१०००) मीलसेभी ज्यादहहै, इसहातेमें पहाडबहुतसमुंदरकनारे ज्यादेतर नारियल - सुपारी - और - ताडकेटरूतखडे है, खासफसल अनाजऔररुड़की - ज्यादह, कलकारखाने इतने है-जोदूसरेहातेमें हर्गिज ! - न - होगें, बंबइहातेमें मुल्कसिंघको छोडकर म हराठे - गुजराती और पारसी अपनेनामकों अबल और वालिद के नामकों पीछेबोलते है, औरवर्षकी शुरूआत कातिकसूदी एकमसें मानते - Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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