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________________ तालीम-धर्मशास्त्र. (१७ ) गलतीसेमुकामीटेशनसें अगलेटेशनचलाजाय तोजितनेटेशन आगेगया उसका महमूलदेनाहोगा. और शिवाय इसके दोआनेसें एकरुपयेतक जरीमानाभी देनापडेगा. जिसदर्जेका टीकीट लियाजाय-अगर उससे बडेदर्जेमें वेठकर सफरकरे तो वाकीका महसूलदेनापडेगा. अगर वगेर गार्डको इत्तिलादेनेके धोखेबाजीसें. ऐसाकरे तो शिवाय महसूलके औरभी जरीमाना देना होगा. उसकी हद (६) रुपयेतकहै, अगर कोई मुसाफिर अपनेटीकीटका नंबर-तारिख-या-टेशनकानाम मलकर ऐसाकरदेवे जो-पढा--न--जासके, उसकेलिये जैसाटेशनमास्तरचाहे करसकताहै, जहांसे टीकीटोंका इम्तिहानहो कररैलचलतीहै वहांतकका किरायालेकर छोडसकताहै, अगरउसको यह मालूमहोजायकि-इसने रैलकोंधोखादेनेकेलिये ऐसा किया है-तो-उसकाचालानहोकर उसपर (१००) रुपयेतक जरीमाना हो सकताहै, कोइमुसाफिर औरतोंकी गाडीमें चढजावेतो वहकानुनी मुजरीमहै, उसकों सजादिइजायगी, अगर किसीटेशनपर खराव खानामिलताहो-या-पानी-न-मीलताहो-तो-मुसाफिर उस टेशन मास्तरकी रिपोर्ट-डिस्टीकट-ट्रफिक-सुपरिटेंडेंटको करसकताहै, रैलमें पार्सल लेनेदेनेका वख्त शिवाय इतवारके हमेशा सातवजे शुभहसे पांचवजे शामतक रहताहै. [तालीम धर्मशास्त्र.] धर्मशास्त्रका फरमानाहै हरसाल एकनयेतीर्थकी जियारतकरे. नयेतीर्थकोंजाना-न-बनसके-तो-जिसकी जियारत अवलकिइहै दोवारा करे, लेकिन ! ऐसाकोइवर्ष-न-गुजरनेदेवेकि-जिसमेंएक तीर्थकीजियारत-न-किइजाय, जोशख्श तीर्थभूमिही रहताहो, उसकों चाहिये दूसरेतीर्थकी जियारतकरे,-तीर्थनामउसकाहै जहां Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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