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________________ हिदायत-उल-आम. (३) खासेमलमलकों-कोइवादामपीस्ते-औरकोइ इतरफुलेलकोंबेचरहेहै. हम सीर्फ बत्तीसहकॊके मसालोंसें अपनाकामचलातेहै, शिवायवत्तीसहकॊके हमारेपास दूसराकुछनही. गोया ! बत्तीसहर्फ हमारा एकमेगजीनहै, अगर तुम मुल्कोंकी सफर और जैन श्वेतांवरतीर्थोकी जियारतकरनाचाहतेहो-तो-एकदफे इसकितावको पढलो, और वन पटेनो शाथरखलो. [हिदायत-उल-आम.] सफरकरना दोतरहसेंहोसकताहै, एकतिजारतकेलिये दूसरातीmकीजियारतकेलिये, जोशख्श दुनियाकेधंदोसे छुटकर तीर्थोकीसफरकों जाताहै उसकी हजारहजारतारीफकरो, औरतुमभी तीर्थोकी सफरजानेकीकोशिशकरो, जिससें तुमारी जींदगीपाकहो. जब सफरकोंजाओ इतनीबातें वहांकी जरुर नोट करलिया करो, उसमुल्कमें कौनसाशहर मशहूरहै. ? अमलदारी किसकीहै ? इल्म कैसाहै ? मशहूरचीनें कौनकौनसीहै ? आवहवा वहांकीकैसी और आदमीयोंका दिल धर्मपर कितनारजुहै ? कोइपुरानाशिलालेख दिखपडे जरुरउसकीनकल करलो, नदी-तलाव-बागवगीचे-पुरानेदेवालयधर्मशाला-कोटकिला-बाजार और रोजगारकीतरक्कीकैसीहै, ? पतेवार उसका बयानलिखलो,-ये-सबबातें तुमकों सफरकरनेसें बखूबी मालूमहोसकेगी, कइमुल्कोंकी ताहसीरगर्म है, और कइयोंकी शर्द, कइमुल्कोंमें मेवेके गंमलगेहै, कइयोंमें नामनिशानभी नहीं. गांवकलोग शहरका रहना-और-शहरकेलोग गांवकारहना-नापसंद करेंगे-पहाडीलोग पहाडमें और जंगली जंगलमें खुशहै, कौनसाशहरवडाहै और कौनसाछोटाहै ? वहांके वाशिंदे कैसेहै, ? इनबातोंको असलीतोरसे जभी जानसकोगे जबतुम खुदसफरकों निकलोगे, Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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