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(८) गुरुभक्तिपर-गहूली-पद-और-छंद. नींबूके रसयुत बहुपक्षस्थ-बड़े नानादालके, चौले चनेकी मुंगकी-पीठीके नानाचालके, कर्पूर अगर इलायची-इत्यादि मिश्रितजल सरस, .. मिश्रीमें मिश्रितकेवडा-अरु दुग्ध उपजे मनहरस, तंबोल पानइलायची-बादाममिश्रित छालिया, केशर जवत्री जायफल-कपूर लवंग कथा लिया, धर वर्क सोनेमें लपेटे-हाथ सबकेमें दिया, चंपा चमेली जुही मेंहदी-केवडा नीका लिया, गैंदा गुलाब सिंगार मरवा-मदनसर शुभ मोगरा, नानाप्रकार सुगंध ले-सन्मान बहुजनका करा, सेले दुपट्टे रेशमी-पघडी कलाबतूनकी, जरके बनाये वस्त्र बहु-और-कोर साची उनकी, सब नारियोंकों जरी साडी-कांचली अरु औढना, बहुमूल्य वस्त्रदिये-किया सत्कार आदर बहुघना, सिद्धार्थनृप महावीरस्वामीके-पिता जग यश लिया, शांतिविजय कहे विवुध पुरजन-सबनकों राजी किया, १२,
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