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( ५४ ) किया गया है जिसे इसी पुस्तक की स्तवनावलि में दे दिया गया है । जिसके बाद आप फरमाते हैं कि :
विशेष लिखने का यह है कि श्री कांगड़ा तीर्थ अतिप्राचीन है। बड़ा रमणीय स्थान है । गरमी के दिनों के लिये यह साक्षात् कैलाशस्थान है। इसके उदय के लिए अत्यन्त जोर से प्रचार करना आवश्यक है।
श्री गुरु भगवन्त जी का श्री तीर्थ कांगड़ा के विषय में अधूरा रहा हुआ कार्य पूर्ण करना अनिवार्य हमारा कर्तव्य है।
पंजाब केशरी आचार्य भगवन्त श्री विजयवल्लभ सूरीश्वर जी महाराज साहब के पट्ट प्रभाकर पट्टधर परम गुरुभक्त मरुधर देशोद्धारक आचाय श्री विजयललित सूरीश्वर जी महाराज साहब के प्रशिष्य-रत्न मुनि श्री प्रकाश विजय जी पंजाब में आये हुए हैं एवं कांगड़ा तीर्थ की यात्रा के लिए भी कांगड़ा तीर्थ में आवेंगे तो मुनि श्री प्रकाशविजय जा आदि को कांगड़ा तीर्थोद्धार के विषय में मैं सूचित करूगा जिस से वह लोग भी ध्यान देंगे।
कांगड़ा को उन्नति के लिए तो श्रो गरु महाराज का समस्त परिवार सब प्रकार से तैय्यार है। किसी भी प्रकार से अविचारणीय वस्तु है नहीं।
विशेष में आप कांगड़ा तीर्थ की सेवा करते हैं एवं भविष्य में भी करते रहेंगे। इस विषय में आप को अभिनन्दन दिया जाता है। खूब आनन्दपूर्वक एवं उत्साह पूर्वक कार्य करते रहें यही।
दः उपाध्याय पूर्णानन्द विजय का धर्मलाभ ।
(४) अखिल भारतीय श्वेताम्बर जैन समाज के प्रसिद्ध नेता गरुभक्त धर्मप्रेमी श्रीमान् माननीय सेठ फूलचन्दभाई श्यामजी
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