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संदेश और शुभ-कामनायें (१) जैन समाज के प्राणाधार श्रीमद् विजयवलभ सूरीश्वर जी
महाराज के शुभ-संदेश परम पूज्य गुरुदेव जैनाचार्य श्रीमद् विजयवल्लभ सूरीश्वर जी महाराज ही इस कांगड़ा तीर्थोद्धार के प्राणाधार थे। उन ही के आशीर्वाद तथा प्रेरणा से ही हम आज तक इस भारी जिम्मेदारी को सफलता पूर्वक निभाते चले आ रहे हैं। उन की ओर से आये अनेकों पत्र हमारे पास मौजूद हैं जिन के पढ़ने से उन की इस तीर्थ सम्बन्धी सद्भावनायें प्रकट हो रही हैं । उत्सव के उपलक्ष्य में हम कुछ वर्षों से उन के शुभ संदेश मंगवाते आ रहे है । गुरुदेव के हृदय में इस तोथे की उन्नति तथा उद्धार के लिये कितनी तड़प थो उन के भेजे पत्र स्वयं बोल रहे हैं । उन के दो पत्रों के पूर्ण भाव नीचे दिये जा रहे हैं जो गुरुदेव के मन के उद्गार तथा सद्भावनायें पेश कर रह हैं। इनमें से पहिला पत्र तारीख १४ मार्च १९५४ का लिखित है । गुरुदेव का यह पहिला पत्र उन के हस्ताक्षरों वाला अन्तिम पत्र है इसलिये कांगड़ा तीथे सम्बंधी विशेष ऐतिहासिक महत्त्व रखता है । सो नीचे दिया जाता है।
श्री महावीर जैन विद्यालय, ग्वालिया टैंक रोड।
बम्बई २६. सैक्रेटरी श्री कांगड़ा तीर्थ,
धर्मलाभ। उम्मीद है आठ दस भाई बम्बई से कांगड़ा को आवेंगे और उम्मीद है कि तुम्हारे काम में काफी इमदाद देवेंगे। जो जगह एक हजार
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