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(४७) * कांगड़ा के आस पास भी कई क्षेत्रों में जैनी बड़ी संख्या में
बसते थे। * संवत् १४८४ का यात्रा संघ कांगड़ा जिले के गोपाचलपुर, नन्दनवनपुर (नादौन)कोटिल ग्राम और कोठीपुर में भी गया
और वहाँ जैन मन्दिरों के दर्शन किये। * प्राचीन कांगड़ा के बाजार में इन्द्रवर्मा के हिन्दू मन्दिर में
आज भी दो जैन मतियां दीवारों में लगी हुई हैं जो नवमी शताब्दि की बनी हुई हैं। * कुछ वर्ष पहले कालीदेवी के मंदिर में यह शिलालेख मौजूद
था। "ॐ स्वस्ति श्री जिनाय नमः।" के प्राचीन कांगड़ा नगर में एक कुआं है जिसे "भावड़यां दा
खूह" अथवा 'जैनों का कुआं' कहा जाता है। के ज्वाला मुखी में अर्जुन-नांगा का स्थान है वहाँ दो जैन
के स्मारक बाज भी पड़े हुए हैं। * बैजनाथ पपरोला के प्राचीन मंदिर में आज भी जैन मत्तियों के खण्डहर पड़े दीखते हैं तथा जैन साध्वियों की मूर्तियों के चिन्ह खुद्दे साफ दिखाई देते हैं। * हमारे पावन तीर्थ का यशोगान करने वाले सन् १६३२ के
रचित कुछ स्तवन आज भी मौजूद हैं। * कांगड़ा जिले में और भी कई स्थानों पर जैन मतियों के
अस्तित्व के समाचार मिल रहे हैं । जिन को शोध-खोज की परम आवश्यकता है।
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