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सारांश
* श्री कांगड़ा तीर्थ को स्थापना भगवान् श्री नेमिनाथ के समय में ___ महाराजा सुशर्म चन्द्र के कर-कमलों से हुई। * कांगड़ा तोथ का प्रमुख मन्दिर नगरकोट कांगड़ा के
ऐतिहासिक किले में विराजमान है। * इस मंदिर में भगवान् श्री आदिनाथ को विशाल मनोहर मूर्ति
शोभायमान है। * मंदिर जी के द्वार पर २४ जैन तीर्थकरों की पद्मासन में
विराजमान मूर्तियों के चिह्न शोभा दे रहे हैं। * तीर्थ के संस्थापक महाराज सुशर्मचन्द्र चन्द्रवंशोय कटौच
क्षत्रिय थे। * इस वंश के कई महाराजे जैन धर्म के श्रद्धालू रहे ।
महाराजा रूपचन्द्र ने चौदहवीं शताब्दि में कांगड़ा नगर में भगवान महावीर की स्वर्ण प्रतिमा तथा मंदिर स्थापित किया। * संवत् १४८४ में महाराजा नरेन्द्रचन्द्र ने उपाध्याय श्री जय
सागर जी के नेतृत्व में सिन्ध देश से आने वाले विशाल यात्रा संव को बहुमान दिया और उपाध्याय जी के उपदेश को सुना। ॐ महाराजा नरेन्द्र चन्द्र के अपने निजी देवागार में स्फटिक. रत्नों की बनी तोर्थंकरों को मूर्तियां विराजमान थीं । महाराजा
जैन तीर्थंकरों की पूजा करते थे। के कांगड़ा के दीवान भी जैन धर्म के उपासक थे। * किले के सिवा कांगड़ा नगर में भी तीन जैन मंदिर
मौजूद थे।
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