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जाने आने की जानकारी इस महातीर्थ के दर्शनों को जाने के लिये दो मुख्य रास्ते हैं। होश्यारपुर से कांगड़ा तथा पठानकोट से कांगड़ा । होश्यारपुर से कांगड़ा चौसठ मील की दूरी पर है। बस सर्विस की पूरी सुविधा है। रास्ता अच्छा है। जिन लोगों को मोटर में बैठ कर पहाड़ी सफर करने से उल्टियां आ जाती हैं उनके लिये इधर से जाना योग्य नहीं।
पठानकोट से कांगड़ा के लिये दो मुख्य साधन हैं । बस द्वारा भी कांगड़ा पहुँचने में कोई कठिनाई नहीं । थोड़े थोड़े समय पर पठानकोट से बसें मिलती रहती हैं। रेल्वे ट्रेन भी कांगड़ा जाती है। पठानकोठ से कांगड़ा के लिये छोटो लाईन चलती है । छोटा सा इञ्जन और छोटे छोटे डिब्बे । पर्वतीय दृश्य देखने योग्य हैं । जलवायु के कलरव से मन को बड़ा आनन्द प्राप्त होता है । पठानकोट से कांगड़ा ५७ मील की दूरी पर है। कांगड़ा के दो रेल्वे स्टेशन हैं । 'पहले स्टेशन का नाम कांगड़ा और दूसरे का कांगड़ा मन्दिर । कांगड़ा नगर की भी दो बस्तियां हैं । एक का नाम है पुराना कांगड़ा
और दूसरे का नवीन कांगड़ा अथवा कांगड़ा भवन । स्टेशन कांगड़ा पुराने कांगड़े के समीप है जहाँ किले में हमारा जैन मन्दिर है यहाँ के स्टेशन पर कांगड़ा को नवीन बस्ती को जाने के लिये रेल्वे बस मौजूद होती है। स्टेशन "कांगडा मन्दिर" नवीन वस्ती के समीप है जहाँ यात्रा के दिनों में धर्मशाला में हम ठहरा करते हैं । स्टेशन से बस्ती को जाने के लिये सवारी का कोई प्रबन्ध नहीं । पैदल ही चलना होता है । सामान उठाने के लिये कुली मिल जाते हैं । ठहरने के लिये नवीन बस्ती ही योग्य है जहाँ धर्मशाला आदि सब प्रकार की सुविधा है । रौनक भी यहीं है ओर देवी का मन्दिर और अच्छर-कुण्ड आदि देखने योग्य स्थान भी यहीं हैं। यहाँ से दो मील की दूरी पर किले में .हमारा जैन मन्दिर है।
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