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________________ तीर्थोद्धार कमेटी प्रातः स्मरणीय परमोपकारी पंजाब देशोद्धारक न्यायाम्भोनिधि जैनाचार्य श्रीमद् विजयानन्द सूरि (आत्मा राम जी) महाराज के समय में इस तीर्थ से समाज परिचित नहीं हो सका था अन्यथा उनके समय में ही इस प्राचीन तोर्थ को उन्नति पर अवश्य दृष्टि दो जाती। पूज्यपाद गुरुदेव जैनाचार्य १००८ श्रीमद् विजय वल्लभ सूरि जी म. ने जब इस तीर्थ की ऐतिहासिक जानकारी प्राप्त की और संवत् १६८० में इस तीर्थ की पहली बार यात्रा की तभी से उनके मन में विशेष उत्कंठा पैदा हुई कि इस प्राचीन गौरवशाली तीर्थ का फिर से उद्धार किया जाये। गुरु महाराज को इस सद्भावना के कारण श्री संघ ने भो इस पुण्य कार्य में योग देना अपना कर्तव्य समझा और इस कार्य को सिद्धी के लिये " अखिल भारतीय कांगड़ा तीर्थोद्धार कमेटी " नाम की एक संस्था स्थापित की गई जिस के प्रधान होश्यारपुर के माननीय ला० दौलतराम जी जेन वकील तथा मन्त्री ला० अमरनाथ जी जैन बजाज़ होश्यारपुर निश्चित हुए । उन्होंने इस सम्बन्ध में उचित लिखा पढ़ो जारी को और कुछ समय तक यह कार्य सुचारु रूप से चलाते रहे परन्तु किप्सी कारण से यह काम आगे न बढ़ सका। अब जब कि यात्रा-संघ की ओर से यात्रा का कार्यक्रम चालू हुआ और उत्साही तथा योग्य सज्जन कांगड़ा पहुँचने प्रारम्भ हुए तो एक बार फिर इस तीर्थ के उद्धार के भाव पैदा हुए फलतः कुछ सज्जन इस काम के लिये आगे बढ़े जिन में से विशेष कर के हमारे माननीय योग्य कार्यकर्ता ला० अमरनाथ जो जैन बी० ए० बी० टी० हैड मास्टर गढ़दीवाला वालों का नाम उल्लेखनीय है। उन ही के उत्साह से फिर वही कमेटी "श्री कांगड़ा जैन तीर्थोद्धार कमेटी" Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034917
Book TitleKangda Jain Tirth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShantilal Jain
PublisherShwetambar Jain Kangda Tirth Yatra Sangh
Publication Year1956
Total Pages104
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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