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तीर्थ-यात्रा-संघ पूर्वकाल के संवन् १४८४ के विशाल यात्रा संघ का सम्पूर्ण हाल पीछे लिख चुके हैं । अब वर्तमान काल के कुछ यात्रा-संघों का संक्षिप्त समाचार यहाँ दिया जाता है।
संवत् १९८० का यात्रा-संघ-यह विशाल यात्रा-संघ संवत् १९८० में हमारे परम उपकारी, पंजाब केसरी, युगवीर, स्वर्गवासी, जैनाचार्य श्रीमद् विजयवल्लभ सूरीश्वर जी महाराज की छत्रछाया में होश्यारपुर के श्री हीरालाल भाबू के संघपतित्व में होश्यारपुर से निकाला गया था । आचार्य श्री के सिवा वयोवृद्ध शांतमूर्ति मुनि श्री सुमतिविजय जी, महान् तपस्वी मुनि श्री गुणविजय जी, होश्यारपुर के सुन्दर रत्न युगल भ्राता पन्यास श्री विद्याविजय जी तथा मुनि श्री विचारविजय जी और मुनि श्री उपेन्द्रविजय जी भी इस यात्रा संघ में शामिल थे सारे पंजाब से तथा पंजाब से बाहर बम्बई आदि दूर स्थानों से भी सैंकड़ों की संख्या में नर और नारी दादा के प्रथम दर्शन की अभिलापा से उमड़ पड़े थे । सारा सामान बैल गाड़ियों पर लादा गया था और सभी यात्री मुनि महाराजों के साथ नंगे पैरों प्रसन्नचित्त हो कर बढ़ते चले जाते थे । जहाँ पर पड़ाव पड़ता वहाँ ही मानी जंगल में मंगल हो जाता था । प्रभु भक्ति और गुरु भक्ति के प्रभाविक गान और कीर्तन से दिशायें गूंज उठती थीं। जगह जगह ठहरते हुए यह संघ कोई दस दिनों के बाद कांगड़ा पहुँचा था और सभी ने बड़े प्रेम और भक्ति-भाव से भगवान् की पूजा और प्रभावना का तीन दिन तक आनन्द लूटा था । पहिली यात्रा माघ शुदी पंचमी रविवार के दिन बड़ी धूम धाम से की गई थी। कांगड़ा नगर में मानो एक मेला सा लग गया था। इस तरह नृत्य-गान, भजन Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com