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( २८ ) भगवान महावीर की एक परम भक्त श्राविका का भी नाम जयन्ति था। इस विषय की खोज होनी चाहिये ।
कांगड़ा जिले में जैन स्मारक कांगड़ा किला और कांगड़ा नगर के स्मारकों के सम्बन्ध में जो थोड़ी बहुत जानकारी प्राप्त हो सकी उस का वर्णन कर चुके हैं अब कांगड़ा के आस-पास के क्षेत्रों से प्राप्त कुछ जानकारी का वर्णन किया जाता है।
ज्वालामुखी के जैन स्मारक-ऊपर लिख चुके हैं कि उपाध्याय श्री जयसागर जी के परिशिष्ट नं. १ के अन्त में ज्वालामुखी को भी मान दिया गया है जिस से अनुमान होता है कि ज्वालामुखी का भी जैनधर्म से कुछ सम्बन्ध रहा हो इस विषय की भी खोज होनी चाहिए।
वैसे तो ज्वालामुखी में कई जैन मूर्तियों के खण्डहरों के इधर उधर पड़े होने के समाचार प्राप्त हुए हैं परन्तु दो जैन स्मारक तो ऐसे हैं जिन को कई जैन बन्धु अपनी आंखों से देख चुके हैं । ज्वालामुखी के समीप एक चोटी पर अर्जुननांगा का स्थान है । यहां पर धातु की बनी तीर्थंकर की एक मूर्ति आज भी मौजूद है और इसके साथ ही धातु का बना एक यन्त्र जिस पर चौबीस तीर्थंकरों के नाम लिखे हुए हैं भी पड़ा है । जैनधर्म में नागार्जुन एक मान्य मुनीश्वर हो गये हैं जिन के नाम की अर्जुन-नांगा के साथ पूरी समानता होने से यह भी एक खोज का विषय हो जाता है । ज्वालामुखी के स्मारकों के कारण अनुभव होता है कि यहाँ पर भी जैनों की अवश्य बस्ती तथा जैन मन्दिर होंगे।
बैजनाथ पपरोला के स्मारक-बैजनाथ पपरोला कांगड़ा जिले का एक प्रसिद्ध स्थान है । यहाँ पर एक बहुत प्राचीन, भारतीय प्राचीन Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com