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वर्तमान का कांगड़ा तीर्थ
बीते समय के गौरवशाली कांगड़ा तीर्थ का ऐतिहासिक वर्णन हो चुका । इसकी धार्मिक, सामाजिक तथा नैतिक अवस्था की कहानी लिखी जा चुकी । अब इसकी वर्त्तमान अवस्था पर दृष्टि देना आवश्यक है । वैसे तो कांगड़े के सारे क्षेत्र में ही हमारे गौरव के अनेकों स्मारक मौजूद थे परन्तु विशेष महत्त्वशाली प्रमुख स्थान था कांगड़ा किले का सौंदर्यपूर्ण प्राचीन जैन मन्दिर । अब किले के इस जैन मन्दिर और मूर्तियों का वर्णन किया जायेगा और शेष स्थानों के जिन भवनों की अवस्था के सम्बन्ध में भी प्रकाश डाला जायेगा ।
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किले का जैन मन्दिर :- कांगड़े का यह प्राचीन किला जिस में हमारा प्रमुख जैन मन्दिर विराजमान है कांगड़ा की नवीन बस्ती से लगभग दो मील दूरी पर प्राचीन कांगड़ा नगर की दक्षिण दिशा में स्थित है । इसके दानों और आज भी वही दोनों नदियां कलर करती बहती चली जा रही हैं और किले की ठोक पीठ की ओर जा कर मिल जाती हैं ।
यद्यपि यह प्राचीन किला - हमारा पवित्र तीर्थ आज भी उसी स्थान पर वीरों की भाँति पूरा शान से खड़ा है परन्तु इसकी अवस्था उस घायल सैनिक की तरह है जिस का बलवान शत्रु के कठोर प्रहारों से अंग-अंग टूट चुका हो । अनेकों बार इस पर महमूद गजनवी, फिरोज तुगलक आदि कर आक्रमणकारियों के भारी आक्रमण हुए । इस की ईंट से ईंट बजा दी गई । इस में शोभायमान मन्दिर और मूर्तियों को नष्ट-भ्रष्ट कर दिया गया, इसकी करोड़ों रुपये की धन सम्पत्ति, सोना, चाँदी, हीरे ज्वाहरात लूट लिये गये जिसका सम्पूर्ण वर्णन जनरल सर कर्नीींघम के शब्दों में पढ़ने योग्य है । जिन में किले
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